बंगाल की खाड़ी में मिली नई परजीवी प्रजाति, भारतीय वैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण खोज
कोलकाता। भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया - ज़ेडएसआई) के वैज्ञानिकों ने बंगाल की खाड़ी में समुद्री मछलियों के मुखगह्वर (मुंह के भीतर) में रहने वाली एक नई परजीवी आइसोपॉड प्रजाति की खोज की है। इस नए परजीवी को ‘लोबोथोरैक्स भारत’ नाम दिया गया है।
यह खोज गोपालपुर-ऑन-सी स्थित एस्टुअरीन बायोलॉजी रीजनल सेंटर और बहरमपुर विश्वविद्यालय के संयुक्त शोध का परिणाम है। इस अध्ययन से समुद्री जैव विविधता और मछलियों से जुड़े परजीवियों की जानकारी में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा। शोध दल में ज़ेडएसआई के वैज्ञानिक संदीप कुमार महापात्र, संमित्र रॉय, जया किशोर सेठ, बसुदेव त्रिपाठी और अनिल महापात्र शामिल थे, और इसका नेतृत्व जया किशोर सेठ, अनिल महापात्र और बसुदेव त्रिपाठी ने किया।
‘लोबोथोरैक्स भारत’ परजीवी प्रजाति ‘लोबोथोरैक्स’ वर्ग से संबंधित है, जो समुद्री मछलियों के मुखगह्वर में परजीवी के रूप में रहते हैं। ये जीव अपने मेज़बान मछलियों के खून और बलगम पर निर्भर होते हैं, जिससे मछलियों में एनीमिया जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। ज़ेडएसआई की निदेशक धृति बनर्जी ने कहा, "यह खोज महत्वपूर्ण है क्योंकि यह न केवल लोबोथोरैक्स आइसोपॉड की ज्ञात जैव विविधता में वृद्धि करती है, बल्कि बंगाल की खाड़ी की जटिल पारिस्थितिकी संबंधों को भी उजागर करती है।"
यह परजीवी ओडिशा तट पर पाया गया और अपने निकटतम रिश्तेदार ‘लोबोथोरैक्स टाइपस ब्लीकर, 1857’ से शारीरिक और जीन संबंधी विशेषताओं में भिन्नता रखता है। पहले ‘लोबोथोरैक्स’ वर्ग में केवल तीन प्रजातियां ज्ञात थीं, लेकिन अब ‘लोबोथोरैक्स भारत’ को शामिल करने के बाद यह संख्या चार हो गई है। यह खोज यह भी दर्शाती है कि समुद्री जैव विविधता के विस्तृत अध्ययन की आवश्यकता कितनी महत्वपूर्ण है।
यह शोध 2023 में शुरू हुआ था, और इसका मुख्य उद्देश्य समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के जटिल जीवन को समझना था। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस प्रकार की खोजें समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को समझने और जैव विविधता के संरक्षण में सहायक होंगी।