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कब हुआ था घडी का अविष्कार ?

Date : 24-Feb-2023

घड़ी के आविष्कार को दो कालखंड में बांटा जा सकता है। एक पुरातन इतिहास की घड़ी का आविष्कार और दूसरा आधुनिक घड़ी का आविष्कार। प्राचीनकाल में समय की गणना हेतु सूर्य की स्थिति देखी जाती थी। सूर्य से ही समय का अनुमान लगाया जाता था। किसी पिंड, इमारत या चट्टान की छाया को देखकर पहर की गणना की जाती थी। बादल होने की स्थिति में यह समय गणना नामुमकिन थी। रात के समय में ग्रह नक्षत्र, तारे देखकर समय की गणना होती थी।

इतिहास में आता है कि सबसे पहले घड़ी चीन में बनाई गई थी। इसको जल घड़ी कहा जाता था जिसमें एक बर्तन में पानी भर दिया जाता था। बर्तन के पेंदे में एक छोटा छिद्र कर दिया जाता था। उस बर्तन के नीचे एक खाली बर्तन रखते थे और पानी बून्द बून्द करके उसमें इक्कठा होता रहता था। इक्कठा हुए पानी को नापकर समय की गणना की जाती थी। बाद में पानी की जगह बालू मिट्टी से भी गणना की जाने लगी।

पुराने समय में दीवार घड़ी में सेकंड के कांटे की जगह पेंडुलम का इस्तेमाल होता था। मोमबत्ती की सहायता से भी समय की गणना की जाती थी। आजकल तो स्वचालित घड़ियां आती है जो बैटरी की सहायता से चलती रहती है। पहले घड़ी में चाबी भरी जाती थी। जिन घड़ियों में सेल डाला जाता है उन्हें क्वाटर्ज घड़ी कहते है। ये घड़ियां ज्यादा समय तक सही समय नही बताती है और ये कुछ सालों बाद सही समय दिखाना बंद कर देती है।

बड़े बड़े शहरों में समय दिखाने के लिए घण्टाघर होते थे जिससे आम लोगों को समय का पता चलता था। मिस्र देश में पानी से चलने वाली अलार्म घड़ी भी होती थी जिसमें तय समय पर अलार्म बजता था।

घड़ी का आविष्कार

घड़ी का आविष्कार का नाम आता है तो सन् 996 में पोप सिलवेस्टर द्वितीय ने किया था और यूरोप में घड़ियों का प्रयोग 13वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में होने लगा था और सन् 1300 में Henry De Vick ने पहिया चक्र अंकपृष्ठ डायल तथा घंटा निर्देशक सूईयुक्त पहली घड़ी बनाई थी, जिसमें सन् 1700 ई. तक मिनट और सेकंड की सूइयाँ तथा दोलक लगा दिए गए थे.

11 वीं सदी घड़ियों कि भार और मापन द्वारा संचालित थे लाया मानक घड़ी 14 वीं शताब्दी में संचालित स्प्रिंग घड़ी और जेब घड़ी कि इंग्लैंड में 16 वीं सदी में बनाया गया था के बाद बाज़ार में लाया गया था  घड़ी की मिनट वाली सुई का आविष्कार किया वर्ष 1577 में स्विट्ज़रलैंड के जॉस बर्गी ने अपने एक खगोलशास्त्री मित्र के लिए. उनसे पहले जर्मनी के न्यूरमबर्ग शहर में पीटर हेनलेन ने ऐसी घड़ी बना ली थी जिसे एक जगह से दूसरी जगह ले जाया सके. लेकिन जिस तरह हम आज हाथ में घड़ी पहनते हैं.

ब्लेज़ पास्कल. पहली घड़ी पहनने वाले आदमी थे उन्होंने एक रस्सी से इस घड़ी को हथेली में बाँध लिया ताकि वो काम करते समय घड़ी देख सकें,और घड़िया समय के अनुसार बदलती रही और अच्छी से अच्छी घड़िया बनती रही जैसे दो हज़ार साल पहले प्राचीन यूनान यानी ग्रीस में पानी से चलने वाली अलार्म घड़ियाँ हुआ करती थीं जिममें पानी के गिरते स्तर के साथ तय समय बाद घंटी बज जाती थी. और आज की घड़ी देखलो क्या आधुनिक है घड़िया कोई एक प्रकार की नही बल्कि कई प्रकार की बनी जैसे धूप घड़ी, यांत्रिक घड़ी, एलेक्ट्रॉनिक घड़ी आदि.

 

 

 

 

 

 
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