पेन हमारे जीवन में बहुत महत्व रखता है। चाहे ऑफिस में काम के लिए हो या स्कूल, कॉलेज में बच्चों की पढ़ाई के लिए पेन उपयोग में आता है। इसे बड़ो से लेकर बच्चें सभी इसका उपयोग करते है। आपको बता दे पहले के समय में लिखने के लिए पक्षियों के पंखों का इस्तेमाल किया जाता था। लेकिन आज के समय में आपको एक से बढ़कर एक पेन मार्किट में मिल जाएंगे जैसे लाइट वाले पेन, कमरे वाले पेन आदि।आज के समय में हम अधिकतर जेल पेन या फिर बॉल पेन, रोलरबॉल पेन, फाउंटेन पेन, फेल्ट टिप पेन, का इस्तेमाल करते हैं। जिस तरह से शिक्षा डिजिटल होती जा रही हैं कॉपी-पेन की जगह टेबलेट व कीबोर्ड आदि उपकरण उपयोग किये जा रहे हैं।
पेन का आविष्कार किसने किया था?
पेन का आविष्कार फ्रेंच इन्वेन्टर पेट्राचे पोएनरु नें किया था। इन्होंने 25 मई 1857 को फाउंटेन पेन का आविष्कार किया था. लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बॉल पॉइंट पेन का आविष्कार को माना जाता है। बॉल पॉइंट पेन के आविष्कार का श्रेय 2 व्यक्तियों को दिया जाता हैं जिनमे से पहला नाम जॉन जैकब लाउड था और दूसरा नाम László Bíró हैं. लेकिन बॉलपॉइंट पेन (बॉल पेन) के आविष्कार का श्रेय मुख्य रूप से जॉन जैकब लाउड को दिया जाता है। जॉन जैकब लाउड ने 1988 में बॉल पॉइंट पेन का आविष्कार किया।
बॉल पेन बनाने का विचार जॉन को तब आया जब वह लेदर की वस्तुओं पर काम कर रहे थे। जिस तरह से सिलाई करते वक्त दर्जी को कपड़े पर बार-बार निशान लगाना पड़ता है उसी तरह से लेदर को काटने के लिए जॉन को उस पर बार-बार निशान लगाना पड़ता था लेकिन उस समय मौजूद फाउंटेन पेन और पेंसिल से यह थोड़ा मुश्किल था। यहीं से जॉन को एक ऐसा पेन बनाने का विचार आया जो इस काम में उनकी सहायता कर सकें। इस विचार के बाद उन्होंने एक ऐसा पेन बनाया जिसकी नॉक धातु की एक छोटी बोल के आकार की थी।
पेन के आविष्कार का इतिहास
पेन का आविष्कार फ्रेंच इन्वेन्टर पेट्राचे पोएनरु नें किया था। जैसा की हर आविष्कार में कुछ ना कुछ त्रुटियाँ रह जाती है ठीक उसी प्रकार “पेट्राचे पोएनरु” द्वारा बनाए गए फाउंटेन पेन में में भरी स्याही से लिखने पर बहुत देर तक सूखती ही नहीं थी, स्याही सूखनें में ज्यादा समय लगता था। और फिर बाद में सन् 1988 में एक नए आविष्कारक John. J. Loud नें इस परेशानी का हल निकाल लिया है बॉल पेन का आविष्कार किया।
बॉल पेन का आविष्कार होने के बाद भी पेन में कुछ ना कुछ खामियाँ बाकी रह गई थी। हालांकि फाउंटेन पेन से कहीं ज्यादा अच्छी बॉल पेन थी और पहले से काफी आसान हो गया था लिखना लेकिन फिर भी बॉल पेन में स्याही पेन के अंदर ही गाढ़ी होकर सूख जाती थी और पेन के अंदर ही फंस जाति थी।
दुनिया के सबसे किमती पेन
दुनिया का सबसे कीमती पेन टिबाल्डी फुलगोर नोक्टर्नस है। वर्तमान में इसकी कीमत लगभग 60 करोड़ है।