पर्यटकों को अपनी और लुभाता बृहस्पति कुंड, यहां तक पहुंचना है रोमांचकारी
Date : 24-Sep-2024
बृहस्पति कुंड (बृहस्पति कुंड) मध्य प्रदेश के पन्ना जिले, बुंदेलखंड में स्थित एक प्राकृतिक गड्ढा है। यह स्थानीय लोगों के बीच लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। पन्ना से दूरी 25 किमी और कालिंजर किले से दूरी 18 किमी दक्षिण की ओर है। बृहस्पति कुंड घने - घने जंगल और ऊँची ऊँची पहाडी से घिरा, प्राकृतिक, पौराणिक तथा भौगोलिक दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थल है। 600 फीट उचाई से गिरता हुआ झरना की सुन्दरल आद्वितीय लगती है। 600 फीट ऊंचाई होने के कारण इसे, भारत का नियाग्रा जलप्रपात भी कहा जाता है। बुंदेलखण्ड क्षेत्र की यह बहुत ही खुबसूरत जगह है। यहाँ हीरे की खदानें पायी जाती हैं। यहाँ विभिन्न प्रकार की औषधियाँ तथा जंगली जीव-जन्तु पाये जाते हैं।
यहां पर पौराणिक, ऐतिहासिक व सांस्कृतिक प्राचीन शैल चित्रकला के प्रमाण पत्थरो पर मिले है। बृहस्पति कुंड तक पहुचने के लिए गुफानुमा पहाड़ी रास्तों से जाना पड़ता है, रास्ते में गुफा के अंदरूनी दीवारों पर शिकारी और जनजातीय लोग व मानवीय गतिविधियों को दर्शाते है, तथा पूर्व ऐतिहासिक काल मे प्रयोग में लाये जाने वाले उपकरण जैसे - धनुव, भूला, तार-कमान के चित्र पत्थरों पर उकेरें गय है धनुष, भाला, तीर-कमान के चित्र पत्थरों पर उकेरी गई है।
पन्ना जिले मे मौजूद बृहस्पति कुंड के आसपास की पर्वत श्रृंखला विध्य श्रृंखला का ही हिस्सा है, बृहस्पति कुंड जलप्रपात का स्रोत बधिन नदी है। जिसका उद्गम स्थल पन्ना की पहाडियाँ श्रृंखलाओ से हुआ है। बधिन नदी से सात कुंडो, का निर्माण होता है।
(1) बृहस्पति कुण्ड, (2) सूरज कुण्ड , (3) गुफा कुण्ड, (4) सुखा कुण्ड, (5) हत्यारा कुण्ड, (6) वेधा कुण्ड, (7) पतालिया कुण्ड है।
बरिश के दिनो मे बृहस्पति कुण्ड की प्राकृतिक सुन्दरता और भी अद्वितीय हो जाती है। ऐसा लगता है जैसे स्वर्ग धरती पर हो। गिरता हुआ, झरने का पानी का धुआधार दृश्य सबके मन को मोह लेता है बृहस्पति कुण्ड के आसपास के जंगलों मे अद्भुत व दुर्लभ आयुर्वेदिक जड़ी बूटी प्रचुर मात्रा मे पाई जाती है। इन जड़ी बूटी की खोज मे आयुर्वेद के ज्ञाता लोग दूर-दूर ढूंढने के लिए आते है।पन्ना जिले में पन्ना टाइगर रिजर्व में धुंधुआ जलप्रपात मौजूद है। यह बहुत ही बड़ा व आकर्षक है। यहां पर करीब सैकड़ों फीट की ऊंचाई के पहाड़ों से पानी नीचे गिरता है। पानी और तेज हवाओं के कारण यहां हजारों फीट ऊंचाई तक पानी का धुंध उठता है। ऐसा प्रतीत होता है मानों जलप्रपात से पानी बादल बनकर आसमान में जा रहा हो। धुंधुआ जलप्रपात बारिश के दौरान काफी वेग से चलता है। इसकी आवाज जंगल में कई किलोमीटर दूर तक सुनाई देती है। धुंधआ जलप्रपात पन्ना टाइगर रिजर्व के अंदर हैं। जलप्रपात के आसपास जंगली जानवरों की मौजूदगी भी होती है। पहाड़ी के ऊपर और नीचे तब तब वन्य प्राणी आते जाते रहते हैं। इसलिए यहां सामान्य रुप से आम लोगों की मौजूदी कम ही होती है। बारिश के सीजन में यह इलाका काफी दुर्गम और खतरनाक भी हो सकता है। इसलिए यहां आम नागरिकों की आवाजाही को नियंत्रित रखा जाता है। जलप्रपात जिस नदी पर बना है। उसकी धारा के साथ जहां यह गिरता है, दोनों तरफ काफी घना जंगल लगा हुआ है।
बृहस्पति कुंड की खड़ी पहाड़ी और सीमित रास्ते में सफर करना किसी साहसिक कार्य से कम है।
बृहस्पति कुण्ड जाने मे कुछ जरूरी बाते:-
1. यहाँ अपने से भोजन और पानी अवश्य ले जाना चाहिए क्योंकि आसपास 3km - 4km तक भोजन पानी कोई व्यवस्था नहीं है।
2. आरामदायक जूते पहन कर यात्रा करनी, चाहिए चहामी मार्ग से होते हुए नीचे झरने तक जाना होता है। इसलिए रास्ते मे फिसलन होती है 1 चप्पल और सैंडल पहन कर यात्रा न करे
3. पहाड़ी के किनारे से यात्रा करते समय बेहद सवाध्यान रहे क्योंकि रास्ता जोखिम भरा है। इसलिए किनारो पर फोटो व बीडियो न बनाये। अगर फोटो लेना हो तो बहुत ही सावधानी बरते
4. अगर आप झरने मे नहाना चाहते है तो अपने साथ आरामदायक कपडे जरूर ले जाए
कैसे पहुंचे बृहस्पति कुण्ड :-
1. कूलिंजर किले से इस जलप्रपात की दूरी लगभग 29 किमी है।
2. पन्ना सिटी से 31 km चित्रकुट से यह जलप्रपात 75 किमी है।
3. आप खजुराहो के रास्ते भी आप इस जलप्रपात पहुच सकते है, खजुराहो से 81 km दूर है। यहां पहुंचने के लिए आपको पन्ना तक बस से फिर. गाडी बुक करके भी जा सकते है।
4. सतना से पन्ना पहुँच कर इस जलप्रपात तक पहुचा जा सकता है