जगदलपुर। बस्तर संभाग मुख्यालय में सबसे लंबी अवधि 75 दिनों तक चलने वाले रियासत कालीन बस्तर दशहरा पर्व में लकड़ी से बनाये जाने वाले दुमंजिला रथ का निर्माण जारी है। इस वर्ष 8 पहियाें वाला रथ निर्माण कार्य किया जा रहा है। नवनिर्मित बस्तर दशहरा रथ 40 फुट उंचा, 32 फुट लंबा एवं 20 फिट चौड़ा हाेता है।
परंमपरानुसार पिछले 616 वर्षाें से बस्तर के अदिवासी कारीगराें द्वारा बस्तर दशहरा रथ निर्माण में अपने सीमित और पारंपरिक औजारों कुल्हाड़ी व बसूले सहित चक्कों से लेकर धुरी औजारों का उपयोग कर ग्रामीण कारिगर/शिल्पी कुशलता के साथ दो मंजिले रथ का निर्माण करते हैं। इसे बनाने में 50 घन मीटर लकड़ी का उपयोग होता है। माचकोट एवं तिरिया के संमृद्ध साल वनों से लाए गए साल वृक्ष के मोटे तनों से रथ का एक्सल बनाया जाता है। इसके दोनों छोर पर चक्का बिठाने के लिए आकार तय किया जाता है। रथ परिचालन का सारा दारोमदार पहियों पर ही होता है। रथ का पहिया बनाने के लिए मजबूत लकड़ियाें के दो अर्धगोलाकार आकृतियों को आपस में बिठाकर पूर्ण गोलाकार चक्कों का रूप दिया जाता है। इन चक्कों का आकार, मोटाई व उनके बीच बने नार का निर्माण ऐसे होता है कि रथ के संचालन में आसानी हो। बस्तर दशहरा रथ के संचालन एवं अन्य रियासत कालीन परंपराओं को देखने के लिए देशी/विदेशी पर्यटक अपार उत्कंठा लिए बस्तर पहुंचते हैं। बस्तर दशहरा के दुमंजिला लकड़ी से निर्मित रथ का संचालन आकर्षण और कौतूहल का विषय होता है।