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पितरों के उद्धार के लिए श्रेष्ठ: इंदिरा एकादशी

Date : 28-Sep-2024

हिंदू धर्म में एकादशी तिथि विशेष महत्व रखती है। यह तिथि मुख्यतः भगवान विष्णु को समर्पित है। पुराणों में बताया गया है कि जितना पुण्य कन्यादान और हजारों वर्षों की तपस्या से जो पूण्य मिलता है उससे अधिक पुण्य एकमात्र इंदिरा एकादशी व्रत करने से मिल जाता है। प्रत्येक वर्ष आश्विन माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को इंदिरा एकादशी का व्रत किया जाता है।

पितृ पक्ष के दौरान पड़ने वाली इंदिरा एकादशी को पितरों के उद्धार के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। ऐसा माना जाता है की इस व्रत के करने से हमारे पितरों को यम लोक से मुक्ति मिलती है और स्वर्ग की प्राप्ति होती है। इंदिरा एकादशी व्रत के दौरान घी, दूध, दही और अन्न का दान करना बेहद शुभ माना गया है। साथ ही इस दिन जरुरतमंदों को खाना खिलाना चाहिए ।

मान्यताओं के अनुसार, ऐसा करने से भगवान विष्णु के साथ पितरों की कृपा प्राप्त होती है। इंदिरा एकादशी व्रत कथा में बताया गया है कि जब राजा इंद्रसेन ने अपने परिवार, रिश्तेदारों और प्रजा के साथ अपना व्रत तोड़ा, तो स्वर्ग से फूलों की वर्षा हुई। राजा इंद्रसेन को अपने पिता का श्री विष्णु के धाम, वैकुंठ में जाते हुए दर्शन हुए। व्रत सूर्योदय से शुरू होकर सूर्यास्त पर खत्म होना चाहिए। इस व्रत को करने वालों को सुबह उठकर स्नान करके शुद्धि करनी चाहिए और भगवान विष्णु के मंत्र "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" का जाप करना चाहिए। इस व्रत को करने वालों को हिंसा, छल-कपट और झूठ से दूर रहना चाहिए और दान-पुण्य के कामों में शामिल होना चाहिए। पुराणों के अनुसार इंदिरा एकादशी व्रत करने से भक्त को मृत्यु के बाद भी लाभ मिलता है। इस व्रत से वह उच्च लोकों में जाता है तथा उसके पूर्वजों को सभी पुराने पापों से मुक्ति मिलती है।

 

 
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