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जो व्यक्ति दूसरों के काम न आए वास्तव में वह मनुष्य नहीं है - ईश्वर चंद्र विद्यासागर

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जूस में यूरिन और दूध में थूक के बाद अब बालाजी मंदिर के प्रसाद में चर्बी

Date : 22-Sep-2024

आस्था पर आघात और सनातन द्रोहियों को बचाने का कुचक्र

सनातन धर्म के अनुयायियों की आस्था पर निरंतर आघात हो रहें हैं। कहीं गणपति विसर्जन जुलूस पर पत्थर फिकते हैं कहीं मंदिर की मूर्ति खंडित की जाती है । इसके साथ कहीं जूस में यूरिन मिलाया जा रहा तो कोई दूध में थूककर बेच रहा है । इन घटनाओं से आगे अब विश्व प्रसिद्ध बालाजी मंदिर के प्रसाद में चर्बी होने की रिपोर्ट आई है । आश्चर्यजनक बात यह है कि ऐसे मुद्दों से जन सामान्य का ध्यान हटाकर कर आरोपियों को बचाने का कुचक्र भी चलने लगा है ।
पिछले एक हजार वर्ष से सनातन धर्म पर हमले हो रहे हैं। सनातन की आस्था विखंडित की जा रही है । समय बदला तो तरीके भी बदल गये लेकिन सनातन को नष्ट करने का उद्देश्य न बदला । एक समय था जब सनातनी आस्था केन्द्रो का विध्वंस किया गया, लूट हुई और तलावार के जोर से मतान्तरण हुआ । फिर एक दूसरा दौर आया जब सनातनी कथानकों की कुतर्क पूर्ण व्याख्या अथवा कूटरचित प्रसंग डालकर समाज उनकी आस्था से दूर करने केलिये भ्रम फैलाने का प्रयत्न हुआ । यह लगातार ऐसे कुचक्रों का ही परिणाम है कि भारत विखंडित होता चला गया । और भारत के बड़ा भूभाग रूपांतरित हो गया और अब वहाँ भारतत्व के कोई चिन्ह नहीं। 
आशा की जा रही थी कि विभाजन की भयानक त्रासदी के बाद उभरे स्वतंत्र भारत में सनातन पर हमलों का क्रम रुकेगा और सभी सनातनी अपनी आस्था के अनुरूप सेवा उपासना पूजा कर सकेंगे। किन्तु सनातन पर आघात करने का यह क्रम न रुक सका । हमला करने के पुराने तरीकों के साथ आस्था को भ्रष्ट करने के नये नये तरीके खोजे जाने लगे । पुराने तरीकों में पालघर में साधुओं की हत्या जैसी घटनाएँ घटने, कांवड़ यात्रा पर हमले, गणपति विसर्जन पर पथराव आदि के समाचार तो आते ही रहे हैं लेकिन अब इससे बहुत आगे इससे अधिक घृणित तरीके भी अपनाये जाने लगे । इनमें दूध में थूकना, रोटी में थूक लगाकर परोसना और फलों के रस में पेशाब मिलाने की घटनाएँ भी सामने आने लगीं हैं। इन तमाम घटनाओं के वीडियो समय समय पर वायरल हुये और पुलिस ने कार्रवाई भी की । दूध में थूकने की घटना लखनऊ की बताई गई है और जूस में पेशाब मिलाकर बेचने की घटना गाजियाबाद के लोनी क्षेत्र की थी । शिकायत के बाद पुलिस ने इस जूस सेंटर पर छापा मारा तो एक कैन में पेशाब भरी मिली उसे जब्त किया गया ।  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर कार्रवाई हुई और दो लोग बंदी बनाये गये । जिसमें एक नाबालिग है। रोटी, फल या सब्जी में थूक लगाकर बेचने के वीडियो वायरल होने पर भी कार्रवाई हुई और लोग गिरफ्तार भी हुये हैं। पर  ऐसी घटनाएँ रुकने का नाम नहीं ले रहीं। फलाहार या शाकाहार में नानवेज मिलने की घटनाएँ भी अक्सर सुनने में आतीं हैं। ऐसी ही एक घटना का समाचार गत वर्ष पवित्र तीर्थ स्थल मथुरा से आया था  । जहाँ फलाहार में नानवेज मिला था । कोई कल्पना कर सकता है कि कोई अपने व्रत में फलाहार करना चाहता है या फलों का रस पीना चाहता है तो उसके पेट में क्या जा रहा है ? यह व्रत को भ्रष्ट करने के साथ शरीर को बीमारियों  से जकड़ने का षड्यंत्र भी माना जा सकता है ।
लेकिन अब एक समाचार दक्षिण भारत से आया है जो इन सब हथकंडों से कयी कदम आगे है । मंदिर में बँटने वाले लड्डू में चर्बी की मिलावट का । इससे लगता है कि सनातन को नष्ट करने का कुचक्र रचने वाली शक्तियों ने मंदिरों के भीतर भी घुसपैठ कर ली है। यह समाचार तिरुपति स्थित भगवान वेंकटेश के विश्व प्रसिद्ध मंदिर से आया । यह मंदिर अपने चमत्कारों केलिये संसार भर में प्रसिद्ध है । अनुमान है देश विदेश से प्रतिवर्ष लगभग तीन करोड़ तीर्थयात्री यहाँ दर्शन के लिये आते हैं। वे दर्शन के बाद मंदिर से लड्डुओं का प्रसाद ले जाना नहीं भूलते । यह प्रसाद वे स्वयं भी ग्रहण करते हैं और अपने परिजनों केलिये घर भी ले जाते हैं। अब प्रयोगशाला की रिपोर्ट बता रही है कि प्रसाद के इन लड्डुओं में चर्बी की मिलावट है । यह मिलावट कथित उस शुद्ध घी में है जिससे ये लड्डू बनाये जाते हैं। तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डू का प्रसाद सबसे पवित्र माना जाता है । मान्यता है कि लड्डू के प्रसाद के बाद ही भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन पूर्ण होते हैं और इच्छित फल की प्राप्ति होती है । मंदिर में लड्डू का यह प्रसाद वितरण पिछले तीन सौ वर्षों से निरन्तर हो रहा है । ये लड्डू मंदिर परिसर में ही बनाये जाते है । प्रसाद के लिये प्रतिदिन तीन लाख से अधिक लड्डू तैयार किये जाते हैं । कथित शुद्ध घी से बने इस एक लड्डू का मूल्य 75 रुपये है । इसके तैयार पैकेट मिलते हैं। लड्डू तो मंदिर में ही बनते हैं लेकिन इन्हें बनानै केलिये सामग्री प्रदाय करने का ठेका कुछ कंपनियों को दिया हुआ है । इसमें शुद्ध घी सप्लाई का ठेका कर्नाटक मिल्क फेडरेशन के पास है । फेडरेशन ने अपने अंतर्गत एक अन्य कंपनी एआर डेयरी प्रोडक्ट लिमिटेड को यह काम दे रखा है । फेडरेशन की यही कंपनी मंदिर में घी की सप्लाई कर रही है । इस कंपनी ने दो टूक तो कोई बात नहीं की । किन्तु कहा कि वो जांच के लिए तैयार है । उसके चार ट्रक घी में कोई शिकायत नहीं थी । पांचवें ट्रक को रोका गया था । मंदिर प्रशासन ने अब कंपनी के विरुद्ध कार्रवाई शुरू करदी है ।
सरकार और मंदिर प्रशासन की कार्रवाही के परिणाम तो आगे आयेंगे लेकिन आस्था को भ्रष्ट करने के इस कुकृत्य की ओर से जन सामान्य का ध्यान हटाने की राजनैतिक ब्यानबाजी पहले दिन से आरंभ हो गई। यह प्रकरण सीधा सीधा सनातन आस्था पर आघात करने का है । इसकी गंभीरता से जांच होनी चाहिए थी । चूँकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सनातन परंपरा को नष्ट करने के षड्यंत्र चल रहे हैं। जिनमें कुछ माओवादी और कुछ कट्टरपंथी शक्तियों के नाम आते हैं । इस षड्यंत्र की आशंका लखनऊ से श्री प्रमोद कृषणन सहित धर्माचार्यों ने व्यक्त की है । फिर भी राजनैतिक रंग देकर गंभीरता कम करने के प्रयास हो रहे है। इस गंभीर अपराध पर राजनैतिक ब्यान सबसे पहले आन्ध्रप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी का आया । उन्होंने वर्तमान मुख्यमंत्री चन्द्रबाबू नायडू पर राजनीति करने का आरोप लगाया । जगन मोहन रेड्डी ईसाई मत को मानने वाले हैं । पिछले दिनों तमिलनाड के मुख्यमंत्री के बेटे उदयनिधि मारण ने जब सनातन धर्म को डेंगू मलेरिया जैसा ख़तरनाक बताकर समाप्त करने का आव्हान किया था । तब उदयनिधि का बचाव केलिये जो राजनेता सामने आये थे, उनमें जगन मोहन रेड्डी भी थे । इसके अतिरिक्त यह भी चर्चा का विषय रहा है कि जिन दिनों जगन मोहन रेड्डी आन्ध्र के मुख्यमंत्री थे तब उनका संरक्षण उन मिशनरीज को रहा है जो मतान्तरण अभियान में लगीं हैं। यूँ भी दक्षिण भारत में वे तमाम शक्तियाँ एकजूट होकर काम कर रहीं हैं जो सनातन धर्म को समाप्त करना चाहती हैं। इसे हम भारत के मानविन्दुओं, परंपराओं और आस्था प्रतीकों पर दक्षिण भारत से आने वाले वक्तव्यों से समझ सकते हैं। इसलिये इस आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता कि प्रसाद के लड्डुओं में यह चर्बी की मिलावट और उसके बचाव के वक्तव्यों को सनातन विरोधी अभियान का अंग हो सकता है ।
 
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