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जो व्यक्ति दूसरों के काम न आए वास्तव में वह मनुष्य नहीं है - ईश्वर चंद्र विद्यासागर

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चाणक्य नीति:- बुढ़ापे के लक्षण

Date : 26-Sep-2024

अध्वाजरं मनुष्याणा वाजिनां बन्धनं जरा |

अमैथुनं जरा स्त्रीणां वस्त्राणामातपं जरा ||

यहां इन पंक्तियों में आचार्य चाणक्य वृद्धावस्था पर टिपण्णी करते हुए कहते हैं कि रास्ता मनुष्य का, बांधा जाना घोड़े का, मैथुन न करना स्त्री का तथा धूप में सूखना वस्त्र का बुढ़ापा है | अर्थात् राह में चलते रहने से थककर मनुष्य अपने को बूढ़ा अनुभव करने लगता है | घोड़ा बंधा रहने पर बूढ़ा हो जाता है | संभोग के अभाव में स्त्री अपने को बुढ़िया अनुभव करने लगती है | धूप में सुखाए जाने पर कपड़े शीघ्र फट जाते हैं तथा उनका रंग फीका पड़ जाता है |

 
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