आईआईटी रुड़की के दीक्षांत समारोह में 2,614 विद्यार्थियो को मिलीं डिग्रियां
हरिद्वार, 5 सितंबर। शिक्षक दिवस के अवसर पर आईआईटी रुड़की का 25 वां दीक्षांत समारोह आयोजित हुआ। अपनी 178 साल की विरासत में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि को चिह्नित करते हुए, 1847 में स्थापित एशिया के सबसे पुराने इंजीनियरिंग कॉलेज व भारत के सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की के दीक्षांत समारोह 2025 में 2,614 विद्यार्थियों (2012 पुरुष एवं 602 महिला) को उपाधि प्रदान की गई, जिसमें 1,267 स्नातक, 847 स्नातकोत्तर एवं 500 पीएचडी सहित कुल 2,614 उपाधियाँ शामिल हैं
समारोह के मुख्य अतिथि केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ जितेंद्र सिंह एवं विशिष्ट अतिथि के तौर पर प्रोफेसर (डॉ.) निर्मलजीत सिंह कलसी, रिटायर्ड आईएएस वपूर्व अध्यक्ष, एनसीवीईटी उपस्थित रहे। अभिशासक परिषद अध्यक्ष डॉ. बीवीआर मोहन रेड्डी ने समारोह की अध्यक्षता की।
आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर के.के. पंत ने वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें संस्थान की उत्कृष्ट उपलब्धियों और दूरदर्शी दृष्टिकोण को दर्शाया गया।स्नातक छात्रों में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने के लिए, वंश सैनी को प्रतिष्ठित राष्ट्रपति स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। यूजी छात्रों में हार्दिक साहनी को उनके उत्कृष्ट सर्वांगीण प्रदर्शन के लिए निदेशक स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया।
दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए, मुख्य अतिथि डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, देश भर में 1.7 लाख स्टार्टअप्स में से लगभग 240 स्टार्टअप्स के साथ, आईआईटी रुड़की भारत के स्टार्टअप आंदोलन में एक बड़ा योगदान दे रहा है। आपके नौ उत्कृष्टता केंद्र, आपदा जोखिम, लचीलापन एवं स्थिरता के क्षेत्र में आपका अग्रणी कार्य, एवं वाइब्रेंट विलेज जैसी पहलों के माध्यम से स्थानीय समुदायों के साथ आपकी गहरी भागीदारी आपको एक शैक्षणिक संस्थान का सच्चा आदर्श बनाती है।
उन्होंने कहा संस्थान को लगातार चौथे वर्ष भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा सर्वाधिक नवोन्मेषी संस्थान पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, साथ ही स्टैम में महिलाओं की उत्कृष्टता के लिए कार्टियर अचीवर पुरस्कार भी प्रदान किया गया है। कल शाम ही, राष्ट्रीय रैंकिंग में, आप छठे स्थान पर रहे। यह अपने आप में इस बात का पर्याप्त प्रमाण है कि इस संस्थान ने वर्षों से अपने मानकों को उल्लेखनीय निरंतरता के साथ बनाए रखा है।
आईआईटी रुड़की अभिशासक परिषद के अध्यक्ष बी.वी.आर. मोहन रेड्डी ने कहा कि दीक्षांत समारोह गर्व एवं जिम्मेदारी का क्षण होता है। रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए, प्रो. के.के. पंत ने क्यूएस वर्ल्ड रैंकिंग 339 और लगातार चौथे वर्ष वास्तुकला एवं नियोजन में शीर्ष एनआईआरएफ रैंक के साथ आईआईटी रुड़की की वैश्विक प्रतिष्ठा एवं उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।
वर्ष के दौरान, संस्थान ने 146 पेटेंट दायर किए, अनुसंधान निधि में 399 करोड़ प्राप्त किए, व क्वांटम प्रौद्योगिकी, स्वच्छ ऊर्जा एवं हाइड्रोजन, रक्षा, संसाधन प्रबंधन व स्थिरता में परियोजनाएं शुरू कीं। एक प्रमुख उपलब्धि यह रही कि आईआईटी रुड़की को खान मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन के अंतर्गत उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) के रूप में नामित किया गया।
संस्थान ने परमाणु अनुप्रयोगों, भू - विज्ञान, ढलान स्थिरता, हिमालयी स्थिरता, गंगा नदी अध्ययन एवं भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणाली में अनुसंधान को भी आगे बढ़ाया। 4,700 करोड़ से अधिक मूल्य के 180 से अधिक स्टार्ट-अप के साथ उद्यमिता फली-फूली। 178 महिलाओं के पीएचडी के साथ विविधता को बल मिला।
विशिष्ट अतिथि प्रो. (डॉ.) निर्मलजीत सिंह कलसी, आईएएस (सेवानिवृत्त) ने कहा कि आईआईटी रुड़की अपनी 178 साल की विरासत के साथ अकादमिक उत्कृष्टता एवं राष्ट्रीय सेवा का प्रतीक बना हुआ है। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में अग्रणी भूमिका निभाने में संस्थान की भूमिका की प्रशंसा की।
केंद्रीय सचिव पंकज अग्रवाल ने स्नातकों को आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए प्रोत्साहित करते हुए कहा, "सच्ची आत्मनिर्भरता दूसरों के औज़ारों को इकट्ठा करने से नहीं, बल्कि दुनिया का नेतृत्व करने वाले अपने स्वयं के नवाचारों को बनाने से आएगी।