उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित 6 दिवसीय नाट्य समारोह के तीसरे दिन रविवार को हरमेंद्र सरताज के निर्देशन में नाटक “कान्ट पे वॉन्ट“ का मंचन केंद्र प्रेक्षागृह में किया गया। यह नाटक न केवल सामाजिक यथार्थ को मंच पर लाता है, बल्कि दर्शकों को झकझोर कर सोचने पर भी मजबूर करता है।
नाटक की मूल संवेदना आज के मध्यम वर्गीय परिवारों की उन पीड़ाओं को दर्शाती है, जो लगातार बढ़ती महंगाई और आर्थिक असमानता के कारण उन्हें झेलनी पड़ती हैं। मंच पर दो ऐसे परिवारों की कहानी दिखाई गई जो महंगाई से त्रस्त हैं। नाटक में बेहद प्रभावशाली ढंग से यह चित्रित किया गया कि कैसे कुछ गिने-चुने अमीर और प्रभावशाली लोग खाद्य वस्तुओं की जमाखोरी कर बाजार पर एकाधिकार बना लेते हैं और मुनाफा कमाने के चक्कर में गरीब व मध्यम वर्गीय जनता को भूख और लाचारी की कगार पर पहुंचा देते हैं।
नाटक में महंगाई की विभीषिका के बीच आमजन की विवशता को मार्मिक ढंग से उकेरा गया। जब जरूरत की वस्तुएं आम लोगों की पहुंच से बाहर हो जाती हैं, तब वे विरोधस्वरूप लूट-मार जैसी स्थितियों की ओर धकेल दिए जाते हैं। नाटक का यह पक्ष विशेष रूप से प्रभावशाली रहा, जिसने यह संदेश दिया कि गरीबी और अभाव किसी भी इंसान को अपराध की राह पर ले जा सकते हैं।
हरमेंद्र सरताज के निर्देशन और कलाकारों की सशक्त अभिनय क्षमता ने मंच पर जीवंतता भर दी। पात्रों की भाव-भंगिमाएं, संवाद अदायगी और मंचीय गति सभी ने दर्शकों को पूरी तरह बांधे रखा। दर्शकों ने नाटक के सामाजिक संदेश और यथार्थ चित्रण की सराहना करते हुए कलाकारों की प्रशंसा की।
नाटक ‘कांट पे वॉन्ट’ एक ऐसा नाटक है जिसने दर्शकों का केवल मनोरंजन ही नहीं किया, बल्कि समाज में व्याप्त असमानता और शोषण पर भी गहरी चोट की। यह प्रस्तुति दर्शकों को सोचने पर मजबूर करती है कि आर्थिक नीतियों के इस दौर में आम आदमी आखिर कहां खड़ा है। हर्ष राज, चाहत जायसवाल, आयुष केसरवानी, शालिनी मिश्रा, हेमन्त सिंह, विकास दुबे ने अपने शानदार अभिनय से दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। इस अवसर पर प्रभारी कार्यक्रम एम.एम मणि ने कलाकरों को स्मृति चिन्ह भेंट कर उनको सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन मधुकांक मिश्रा ने किया।