हिंदी दुनिया की एकमात्र ऐसी भाषा है,
जो अ अनपढ़ से शुरू होकर
ज्ञ ज्ञानी पर समाप्त होती है !
हिंदी भारत ही नही बल्कि पूरे विश्व में बोली जाने वाली प्रमुख भाषाओं में शुमार है। हिंदी भाषा से भारत देश की पहचान और सम्मान है।भारत के हर कोने में भले ही हिंदी भाषा बोली नही जाती है लेकिन इसका सम्मान भारत का हर नागरिक सच्चे मन से करता है।हमारा देश भारत विविधता में एकता का प्रतीक है, जिसमें 22 अलग-अलग भाषाएं बोली जाती हैं। इन्हें संजोकर रखने का काम हिंदी भाषा करती है।अपनी मातृभाषा की विशेषता को पूरी दुनिया में पहुंचाने के लिए हिंदी दिवस मनाया जाता है। आजादी के बाद साल 1953 में 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मानने की घोषणा की गई थी। विश्व में हिंदी बोलने वालो की संख्या लगभग 80 करोड़ लोग ऐसे है जो हिंदी भाषा को बोलते है या समझ सकते हैं। भारत के अलावा विदेशों में भी बड़े संख्या में हिंदी भाषा बोली जाती है। भारत में 2011 के जनगणना के अनुसार 43.63 प्रतिशत लोग हिंदी भाषा का प्रयोग करते है। और देखा जाये तो भारत में 22343 हिंदी माध्यम स्कूल है। तथा पुरे विश्व में 30 से अधिक देशों में पढ़ी-पढ़ाई जाती है। तथा लगभग 100 विश्वविद्यालयों में उसके लिए अध्यापन केंद्र खुले हुए हैं।
हिंदी भाषा का इतिहास
भारत की आजादी के दो साल बाद यानी कि साल 1949 में, हिंदी को मान्यता दी गयी थी और देवनागरी लिपि में लिखी गई एक इंडो-आर्यन भाषा को नवगठित राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया गया था। भारत की आजादी के बाद संविधान में नियमों और कानून के अलावा नए राष्ट्र की आधिकारिक भाषा का मुद्दा भी मुख्य था। इसके बाद 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत होकर हिंदी भाषा को राजभाषा बनाने का फैसला लिया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने साल 1918 में आयोजित हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी को राष्ट्रीय भाषा बनाने का आग्रह किया था। लेकिन इस बात को लेकर कई लोगों ने अपनी असहमति भी जताई थी इसी वजह से अंग्रेजी को भी राजभाषा का दर्जा दे दिया गया था।
हिंदी दिवस की शुरुआत
14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में लिखी हिन्दी को अंग्रेजी के साथ राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार करने के कुछ साल बाद में जवाहरलाल नेहरू सरकार ने इस ऐतिहासिक दिन के महत्व को देखते हुए हर साल 14 सितंबर को हिन्दी दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था साल 1953 में 14 सितम्बर को पहली बार हिंदी दिवस के रूप में मनाया गया था।
हिंदी दिवस मनाये जाने के कारण
हिंदी दिवस मनाने का कारण यह है की आज कल लोग अंग्रजी भाषा को ज्यादा महत्व देने लगे है और अपने मातृ भाषा को भूलने लगे है। देखा जाये तो आज कल हिंदी बोलने पर व्यक्ति के सम्मान पर भेद करने लगते है। यही कारण है की लीग हिंदी भाषा का प्रयोग ज्यादा नहीं करते है और हिंदी भाषा को भूलते जा रहे है तथा यही कारण है की हिंदी भाषा को जागरूक करने के लिए हिंदी दिवस मनाया जाता है।
हिंदी दिवस पर हमने ठाना है
लोगो में हिंदी का स्वाभमान जगाना है,
हम सब का अभिमान है हिंदी
भारत देश की शान है हिंदी।