देश-दुनिया के इतिहास में 24 सितंबर की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह तारीख अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की अहम उपलब्धि के लिए भी जानी जाती है। दरअसल भारत ने 24 सितंबर, 2014 को अपने पहले ही प्रयास में अपने अंतरिक्ष यान को मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित करके बड़े कार्य को अंजाम दिया। मंगल पर पहुंचने के साथ भारत अपने पहले ही प्रयास में यह उपलब्धि हासिल करने वाला विश्व का पहला देश बन गया। एशिया के दो दिग्गज चीन और जापान को भारत ने पीछे छोड़ दिया, क्योंकि यह दोनों देश अपने पहले मंगल अभियान में सफल नहीं हो पाए थे।
मंगलयान मिशन का उद्देश्य क्या था?
किसी भी मिशन की लॉन्चिंग को लेकर कई उद्देश्य होते हैं। मून मिशन का उद्देश्य भारतीय स्पेश एजेंसी की ताकत और डेवलपमेंट को दुनिया के सामने प्रदर्शित करना था। मंगलयान मिशन के उद्देश्य इस प्रकार हैंः
- अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की कक्षा से सूर्य केंद्रीय प्रक्षेपण पथ में ट्रांसफर करना।
- मंगल ग्रह पर डिजाइन, योजना, प्रबंधन और संचालन के लिए आवश्यक टेक्नोलॉजी का डेवलपमेंट करना।
- मंगल की कक्षा में प्रवेश और मंगल ग्रह के चारों ओर कक्षा में भ्रमण करना।
- मंगल ग्रह की सतह की विशेषताओं, मोर्फोलॉजी, माइनरोलॉजी और मंगल ग्रह के एनवायरोमेंट की स्टडी करना।
मंगलयान मिशन कितना सफल रहा?
मंगलयान जानने के अलावा यह समझना आवश्यक है कि भारत का पहला मून मिशन कितना सफल रहा और इसके कितने उद्देश्य पूरे हुएः
- मंगलयान भारत का पहला मून मिशन था।
- मंगल ग्रह ऑर्बिटर को एक अंडाकार पृथ्वी की कक्षा में इंजेक्ट किया गया था। (248.4 किमी की उपभू और 23,550 किमी की अपभू के साथ, भूमध्य रेखा पर 19.27 डिग्री के कोण पर झुका हुआ)।
- जब तक अंतरिक्ष यान प्रक्षेपण यान से अलग नहीं हो गया तब तक ग्राउंड स्टेशनों के एक नेटवर्क ने प्रक्षेपण यान पर लगातार नज़र रखी।
- मिशन की ट्रैकिंग में सहायता प्रदान करने के लिए, शिप बोर्न टर्मिनल्स (एसबीटी) से दो जहाजों को दक्षिण प्रशांत महासागर में तैनात किया गया था।
- बैंगलोर में अंतरिक्ष यान नियंत्रण केंद्र ने प्रक्षेपण यान से अलग होने के बाद अंतरिक्ष यान के संचालन को नियंत्रित किया।
- मंगलयान मिशन से भारत न केवल मंगल ग्रह की कक्षा तक पहुंचने की उपलब्धि हासिल करने वाला पहला एशियाई देश बन गया, बल्कि अपने पहले ही प्रयास में ऐसा करने वाला पहला देश भी बन गया।
- मंगलयान मिशन को मंगल ग्रह पर अब तक का सबसे सस्ता मिशन होने के कारण भी इसकी तारीफ की जाती है।
- 2015 में मिशन के पीछे की टीम ने अमेरिका स्थित नेशनल स्पेस सोसाइटी से स्पेस पायनियर पुरस्कार जीता।
- मंगलयान मिशन को चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता से भी प्रशंसा मिली, जिन्होंने इस मिशन को ‘एशिया का गौरव’ कहा।
मंगलयान मिशन से क्या हासिल हुआ?
इस मिशन की सफलता के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) ने मंगल ग्रह के लिए अपने दूसरे मिशन की तैयारी़ शुरू कर दी है। मंगलयान कितना सफल रहा के बारे में यहां बताया गया हैः
- मंगल के लिए यह वर्ल्ड पहला ऐसा मिशन था जो पहले प्रयास में ही सफल रहा था।
- मंगलयान के लिए वैज्ञानिक सौरचक्र 24 के पोस्ट मैग्जिमा फेज के दौरान सौर कोरोना गतिकी समझने में सफलता मिली।
- धूल और तूफानों के दौरान मंगल के वायुमडंल से निकलने वाली गैसों की स्टडी की गई।
- मंगल के वायुमडंल के बाह्यमंडल की ऑर्गन गैस की जानकारी हुई।
- मंगलयान मिशन से आत्मनिर्भर तकनीकों को बढ़ावा मिला और दुनिया ने भारत की ताकत देखी।
- भारत के मंगलयान मिशन की दुनिया के कई देशों ने सराहना की।
मंगलयान मिशन की टीम में कौन शामिल थे?
किसी भी मिशन की सफलता में टीम वर्क काफी योगदान होता है, मंगलयान मिशन की जिम्मेदारी किसके पास थी और पूरी टीम में कौन लोग शामिल थे के बारे में जानकारी जरूरी है, जोकि इस प्रकार हैः
- मंगलयान मिशन के समय इसरो के अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन थे।
- प्रोग्राम के डायरेक्टर माइलस्वामी अन्नादुरई थे।
- अभियान की सफलता में प्रोजेक्ट डायरेक्टर सुब्बा अरुणन और अलूर सिलेन किरण कुमार की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
- नंदिनी हरिनाथ और रितु करिधल ने मंगल ग्रह पर अंतरिक्ष यान के प्रक्षेप पथ की गणना करने और समस्याओं को स्वयं-सही करने के लिए एक स्वायत्त सॉफ्टवेयर प्रणाली को डिजाइन करने के अलावा और मिशन संचालन को संभाला।
- मौमिता दत्ता और मीनल संपत ने अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (SAC) में वैज्ञानिक उपकरणों का निर्माण और परीक्षण किया।
- इन लोगों के अलावा कई अन्य महिला और पुरुष वैज्ञानिकों ने मिशन की सफलता में भूमिका निभाई।
मंगलयान मिशन की लागत क्या थी?
इस मिशन की खासियत लागत की वजह से रही है, क्योंकि INR 450 करोड़ में अपने पहले प्रयास में मंगल ग्रह के जटिल मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने की भारत की क्षमता ने दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है और भारत की छवि को एक विश्वसनीय अंतरिक्ष ताकत के रूप में अधिक ऊंचाइयों तक पहुंचाया है।
(स्त्रोत leverageedu.com)