तीन हजार क्षत्राणियों का अग्नि प्रवेश..
आठ मार्च अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की तिथि है । इस दिन पहली बार 1907 में न्यूयार्क की सड़कों पर महिलाओं ने अपने अधिकारों के लिये एक विशाल प्रदर्शन किया था । लेकिन भारतीय इतिहास में आठ मार्च की तिथि एक ऐसी घटना का स्मरण कराती है जिसमें तीन हजार राजपूतानियों ने अपने स्वत्व और स्वाभिमान की रक्षा के लिए अग्नि में प्रवेश किया था ।
इस जौहर को मेवाड़ का दूसरा जौहर कहा जाता है। पहला जौहर रानी पद्मिनी का था और यह दूसरा जौहर यह रानी कर्णावती का था । साका अधिक देर न चल सका । बहादुरशाह के तोपखाने के आगे युद्ध पूरे दिन भी न चल सका । जीत के बाद बहादुरशाह किले में प्रविष्ठ हुआ पर उसे सन्नाटा और राख के ढेर मिले । उसने आसपास के गाँवों में लूट मचाई। तभी उसे खबर मिली कि हुँमायू की सेना चित्तौड़ आ रही है । वह किला खाली करके चला गया । मुगल बादशाह हुँमायु ने विक्रमादित्य सिंह को गद्दी पर बिठाने में सहयोग भी किया । पर उसके आने के पहले उसे राखी भेजने वाली रानी कर्णावती का अस्तित्व राख के ढेर में बदल गया था ।
कोटिशः नमन इन बलिदानी क्षत्राणियों को ।
लेखक : रमेश शर्मा