प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने कार्यकाल के 10 वर्ष पूरे कर रहे हैं, इसके साथ ही भारत अपने हर क्षेत्र में विकास के पायदान सुनिश्चित कर रहा है। इस बीच विपक्षी दल कांग्रेस, वामपंथी, आप समेत जो भी हैं, वह केंद्र की मोदी सरकार को आर्थिक मोर्चे समेत किसान, महिला एवं अन्य तमाम विषयों पर घेरने का प्रयास करते दिखाई देते हैं। विपक्ष का कहना है कि मोदी राज में देश आर्थिक रूप से कमजोर हुआ है। देश में बेरोजगारी बढ़ी है, किसान बहुत परेशान है। देश का युवा हो या अन्य कोई सभी मोदी सरकार से बहुत दुखी हैं; किंतु क्या वास्तव में यह सत्य है? इस संबंध में तमाम आंकड़े केंद्र की वर्तमान सरकार के पक्ष में जा रहे हैं। ऐसे में यह जानने की जिज्ञासा जरूर है कि विपक्ष के राजनीतिक दल इस तरह के फर्जी आंकड़ें लाते कहां से है! यदि भारत आज आर्थिक मोर्चे पर विकास नहीं कर रहा होता तो सुप्रीम न्यायालय (एससी) यह कभी नहीं कहता कि ‘भारत की अर्थव्यवस्था को पूरी दुनिया में पहचान मिल रही है। देश को इस पर गर्व करना चाहिए।’
सुप्रीम कोर्ट भी मान रहा है भारत आर्थिक रूप से हो रहा सशक्त
वास्तव में इस तरह की टिप्पणी यदि सुप्रीम कोर्ट दे रहा है तो इसके गहन अर्थ हैं, जिसे आज हर भारतीय को समझना चाहिए। विपक्ष जो कह रहा है वह अपनी जगह है, किंतु न्यायालय बिना किसी पक्ष और विपक्ष के वही कहता है जो सत्य या सत्य के नजदीक होता है। इस दृष्टि से न्यायालय की कही बात को हम समझें और सत्य मानें। आज दुनिया की तमाम वित्तिय एजेंसियां हैं आंकड़े प्रस्तुत कर रही हैं कि कैसे भारत हर क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। हर रेटिंग भारत को विकास की गति में नंबर एक पर रख रही है। यह सत्य भी है; क्योंकि दुनिया के सभी बड़े देशों में भारत की विकास दर सबसे तेज है।
अर्थव्यवस्था में उद्योगों और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के क्रांतिकारी परिवर्तनों ने जो रफ्तार विकास को दी है, वह दुनिया के कई देशों के लिए सीखने लायक है। यहां तक कि जिस किसान आन्दोलन के जरिए केंद्र की मोदी सरकार को घेरने का प्रयास किया जा रहा है, उन किसानों के लिए पिछले दस सालों में इस सरकार के रहते बहुत काम हुआ। पहली बार सभी 22 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य लागत से न्यूनतम 50 प्रतिशत अधिक निर्धारित किया गया। पिछले साल दिसम्बर माह तक 23.58 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को उनकी मिट्टी की पोषक स्थिति और उसकी संरचना की जानकारी प्रदान करने केलिए उन्हें वितरित किए जा चुके हैं। इससे वे आसानी से जान जाते हैं कि उनके खेत में कौन-कौन फसलें उन्हें सबसे अधिक लाभ दिलाएंगी।
मोदी सरकार के रहते कृषि का बजट पांच गुना हुआ; 1.37 लाख करोड़ से ₹7.27 लाख करोड़ पर पहुंचा
इस संदर्भ में कहना होगा कि आज ‘प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना (पीएम-केएमवाई), प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) जैसी पहल किसानों को वित्तीय और आय सहायता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। सरकार ने देश की कृषि नीति और योजनाओं में 10 करोड़ से ज्यादा छोटे किसानों को प्राथमिकता दी है।’ (ADDRESS BY THE HON’BLE PRESIDENT OF INDIASMT. DROUPADI MURMU TO PARLIAMENT, January 31, 2024)। पीएम-किसान सम्मान योजना के माध्यम से हर साल सीमांत और छोटे किसानों सहित 11.8 करोड़ किसानों को सीधी वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। योजना में किसानों को अब तक 2.80 लाख हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि मिल चुकी है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत कार एकत्रीकरण, आधुनिक भंडारण, कुशल आपूर्ति श्रृंखला, प्राथमिक और माध्यमिक प्रसंस्करण एवं विपणन, ब्रांडिंग सहित फसल कटाई के बाद की गतिविधियों में निजी और सार्वजनिक निवेश को बढ़ावा देने के काम में लगातार लगी हुई है।
इसी प्रकार के अन्य कृषि संबंधी विकास के कार्य देश भर में केंद्र की सरकार के माध्यम से सफलता पूर्वक संचालित हो रहे हैं। वस्तुत: देश में कृषि की तरह ही अन्य क्षेत्र हैं, उनमें भी आज बहुत अच्छा कार्य केंद्र 4 करोड़ किसानों को फसल बीमा दिया जा रहा है। यह व्यापक फसल बीमा पॉलिसी यह सुनिश्चित करती है कि किसानों को गैर-रोकथाम योग्य प्राकृतिक कारणों से सुरक्षा मिले। उनकी आजीविका सुरक्षित रहे और अप्रत्याशित आपदाओं की स्थिति में वित्तीय बर्बादी को रोका जा सके। इस योजना के तहत किसानों ने 30 हजार करोड़ रुपये का प्रीमियम जमा किया। इसके बदले में उन्हें 1.5 लाख करोड़ रुपये का क्लेम मिला है। सरकार पीएम-केएमवाई के तहत नामांकित 23.4 लाख छोटे और सीमांत किसानों को पेंशन लाभ भी प्रदान कर रही है। मोदी सरकार के पिछले 10 वर्षों में कार्यकाल के दौरान किसानों के लिए बैंकों से आसान ऋण में तीन गुना वृद्धि हुई है। इस तरह की पहल और योजनाओं व अन्य कार्यक्रमों के माध्यम से सरकार देश व दुनिया के लिए अनाज पैदा करने में 'अन्नदाता' की सहायता कर रही हैं।
(लेखक फिल्म सेंसर बोर्ड एडवाइजरी कमेटी के सदस्य एवं हिन्दुस्थान समाचार न्यूज एजेंसी में वरिष्ठ पत्रकार हैं)