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20 मार्च पुण्यतिथि विशेष:- सन् 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की प्रथम महिला बलिदानी : रानी अवंतीबाई लोधी

Date : 20-Mar-2024

भारत के सन् 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में संपूर्ण भारत में किसी भी राजघराने परिवार से प्रथम महिला बलिदान 20 मार्च सन् 1858 वीरांगना क्षत्राणी..रानी अवंतीबाई लोधी का रहा है....(क्योंकि झाँसी की वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई का बलिदान 18 जून 1858 को और बेगम हजरत महल की मृत्यु 7 अप्रैल 1879 को हुई थी ) आज उनके बलिदान दिवस पर शत् शत् नमन है | 

(कमिश्नरी जबलपुर, जिला मंडला, रियासत रामगढ़.. संस्थापक गोंड साम्राज्य के वीर सेनापति मोहन सिंह लोधी.. 681 गाँव, सीमायें अमरकंटक सुहागपुर कबीर चौंतरा, घुघरी, बिछिया, रामनगर तक ) .. ब्रिटिश काल में तहसील रामगढ़, सदर मुकाम रामगढ़ ) ..वीरांगना का गौरवमयी इतिहास लिखने से पहले मैं यहाँ स्पष्ट कर दूँ कि जिस तरह इतिहास लेखन के दौरान महारथी शंकरशाह और उनके सुपुत्र रघुनाथशाह के साथ अन्याय हुआ है.. उससे भी बड़ा अन्याय वीरांगना रानी अवंतीबाई लोधी के साथ हुआ है.. इस षड्यंत्र में तथाकथित परजीवी और अंग्रेज़ों से भयाक्रांत बुद्धिजीवी इतिहासकार +अंग्रेजी पैटर्न और उनके स्रोतों को ब्रह्म वाक्य मानकर कैम्ब्रिज विचारधारा के इतिहासकार मार्क्सवादी इतिहासकार और एक दल विशेष के इतिहासकार शामिल रहे हैं..जबकि रानी अवंतीबाई लोधी का कद और बलिदान किसी भी तरह से.. झाँसी की रानी वीरांगना लक्ष्मीबाई और अवध की बेगम हजरत महल की तुलना उन्नीस नहीं रहा है.. फिर भी राष्ट्रीय स्तर पर लिखे गए इतिहास में तथाकथित महान् इतिहासकारों ने उनके बारे एक पृष्ठ तो छोड़िये.. एक पंक्ति नहीं लिखी है.. और तो और एक उद्भट विद्वान और जाने-माने इतिहासकार राय बहादुर हीरालाल जी ने अपने गजेटियर "मंडला मयूख" में रानी अवंतीबाई लोधी के पलायन कर जाने का उल्लेख किया है क्योंकि वे अंग्रेजों के प्रभाव में थे| 

अब हकीकत क्या है?

रानी अवंतीबाई लोधी ने अंग्रेजों से लगातार 9 माह संघर्ष किया है.. जिसमें 6 प्रमुख युद्ध लड़े(देवहारगढ़ के जंगलों में छापामार युद्धों के अतिरिक्त) .. जिसमें 5 युद्धों में अंग्रेजों के धूल चटाई.. 4 माह तक मंडला डिप्टी कमिश्नरी में अंग्रेजों को अपदस्थ कर शासन चलाया। 20 मार्च 1858 को छठवें प्रमुख युद्ध में अपनी अंगरक्षिका गिरधाबाई के साथ स्वत:प्राणोत्सर्ग कर स्वतंत्रता संग्राम में पूर्णाहुति दी..अद्भुत एवं अद्वितीय प्रकाशन के लिए लिए नई दुनिया समाचार पत्र का आभार..नई दुनिया समाचार पत्र के वरेण्य पत्रकार श्रीयुत तरुण मिश्रा एवं उदीयमान पत्रकार श्रीयुत दीपक जैन जी का अनंत कोटि आभार। विस्तार से आलेख अविलंब आज ही प्रेषित होगा। 

लेखक:- डाॅ आनंद सिंह राणा 

 
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