रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे। रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नम: ॥
Date : 17-Apr-2024
राम मानवता की सबसे बड़ी निधि है।वे संसार में अद्वितीय प्रेरणापुंज है।वे शाश्वत धरोहर है सभ्यता, संस्कृति और आदर्श लोकजीवन के।राम जीवन के ऐसे आदर्श है जो हर युग मे सामयिकता के ज्वलन्त सूर्य की तरह प्रदीप्त है।मर्यादा,शील, संयम,त्याग,लोकतंत्र, राजनय,सामरिक शास्त्र,वैश्विक जबाबदेही,सामाजिक लोकाचार,परिवार प्रबोधन ,आदर्श राज्य और राजनीति से लेकर करारोपण तक लोकजीवन के हर पक्ष हमें राम के चरित्र में प्रतिबिंबित औऱ प्रतिध्वनित होते है।हमें बस राम की व्याप्ति को समझने की आवश्यकता है। गोस्वामी तुलसीदास ने राम के चरित्र सन्देश की व्याप्ति को स्थाई बनाने का भागीरथी काम किया है।वैसे तो दुनियां में बीसियों रामायण प्रचलित है लेकिन लोकभाषा में राम को घर घर पहुंचाने का काम तुलसीकृत रामचरितमानस ने ही किया है।वस्तुतःराम तो मानवता के सर्वोच्च और सर्वोत्तम आदर्श है।उन्हें विष्णु के सर्वश्रेष्ठ अवतारों में एक कहा जाता है।तुलसी ने राम के दोनों अक्षर 'रा'और ' म ' की तुलना ताली से निकलने वाले ध्वनि सन्देश से की है। जो हमें जीवन के सभी संदेह से दूर ले जाकर मर्यादा और शील के प्रति आस्थावान बनाता है।राम उत्तर से दक्षिण सब दिशाओं में समान रूप से समाज के उर्जापुंज है।राम सभी दृष्टियों से परिपूर्ण पुरुष है उन्होंने अपने जीवन में जो सांसारिक लीला की है वह काल की हर मांग को सामयिकता का धरातल देती है।एक पुत्र का पिता के प्रति आज्ञा और आदरभाव,भाइयों के प्रति समभाव,पति के रूप में निष्ठावानअनुरागी चरित्र,प्रजापालक,दुष्टसंहारक अपराजेय योद्धा,मित्र,आदर्श राजा,लोकनीति और राजनीति के अधिष्ठाता से लेकर आज के आधुनिक जीवन की हर परिघटना और समस्या के आदर्श निदान के लिए राम के सिवाय कोई दूसरा विकल्प हमें नजर नही आता है।राम ने सत्ता के लिए साधन औऱ साध्य की जो मिसाल प्रस्तुत की हैं वह आज भी अपेक्षित है।