धवलराम बाबा के खेत में पहुँचते ही सब चोर लज्जित हो गए | बाबा तो क्षमा मूर्ति थे ही, उन्होंने उन चोरों को सांत्वना दी, खाने को अन्न दिया और साथ ही धन के बोझों में से उनको उनकी कटाई के रूप में उचित पारिश्रमिक भी दिया | उन चोरों को उसी दिन से चोरी का पेशा छूट गया|