जगदलपुर। 1 नवंबर 2000 को मध्यप्रदेश से अलग होकर नया राज्य छत्तीसगढ़ बना, बस्तर वासियों को अपने कामों के लिए पहले 1500 किलोमीटर दूर राजधानी भोपाल जाना पड़ता था, लेकिन राज्य गठन के बाद बस्तर मुख्यालय जगदलपुर से राजधानी की दूरी 300 किलोमीटर हो गई। आज छत्तीसगढ़ ने अपने 24 साल पूरा कर लिए हैं, इन 24 सालों में पिछड़ा क्षेत्र कहे जाने वाले आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बस्तर में हुए विकास का आंकलन करना आश्यक है। बस्तर की सबसे बड़ी उपलब्धि के पैमाने पर देखा जाये ताे बस्तर में स्टील का उत्पादन करने के लिए एनएमडीसी से अपना स्टील प्लांट बस्तर जिले के नगरनार में शुरू किया है। इस स्टील प्लांट से उत्पादन काफी बड़ी मात्रा में होने लगी है।
स्टील प्लांट से स्थापित होने से बस्तर के लोगों को काफी रोजगार भी मिला है। वहीं शिक्षा के क्षेत्र में आंशिक प्रगति हुई है। बस्तर में स्वास्थ्य सुविधा के क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज बड़ी उपलब्धि माना जा सकता है, वहीं सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल का निर्माण फिलहाल अधूरा है, जिसके कारण इसका शुभारंभ नहीं हो पाया है, जिसे भी बड़ी उपलब्धि माना जा सकता है। 108 संजीवनी एक्सप्रेस, 102 महतारी एक्सप्रेस और डायल 112 ग्रामीण इलाकाें के लिए वरदान साबित हाे रहा है। बस्तर के सातों जिलों में लगातार पुल-पुलियों सड़कों का निर्माण जारी है, हजारों किलोमीटर सड़कों का निर्माण पूरे बस्तर संभाग में हुआ है, लेकिन वर्तमान की स्थिति में कई ऐसे गांव है जो आज भी जुड़ नहीं पाए हैं। बस्तर का एयर कनेक्टिविटी का लाभ नही मिल रहा है। बस्तर को राजधानी रायपुर से जोड़ने के लिए लंबे समय से रावघाट रेल लाइन की मांग की जा रही है, जिसका कार्य अधूरा है जिसे लेकर लाेगाें में भारी नाराजगी है। पर्यटन की असीम संभावनाओं का बस्तर पर ग्रहण लगा हुआ है। कुल मिलाकर छग. निर्माण के 24 सालों में आदिवासी बाहुल्य बस्तर में हुए विकास आशानरूप प्रतीत नही हाेता, बस्तर में और भी तेजी से विकास की आवश्यकता है।
छत्तीसगढ़ राज्य गठन के दौरान बस्तर संभाग में स्कूलों की संख्या काफी कम थी,.अंदरूनी क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर नीचे था, अंदरूनी क्षेत्रों में शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए पोटाकेबिन, आश्रम और छात्रावास शुरू किया गया। इनमें छात्रों के लिए सुविधाएं मुहैया कराई गई, ताकि अंदरूनी क्षेत्रों के आदिवासी बच्चे इन आश्रम शालाओं में रहकर पढ़ाई पूरी कर सकें। हालांकि नक्सली वरदात के कारण इन 24 सालों में अंदरूनी क्षेत्रों के कुछ स्कूल बंद हुए, लेकिन कुछ स्कूलों को फिर शुरू किया गया। बेहद अंदरूनी इलाकों में आदिवासी पढ़े लिखे युवाओं को सरकार ने शिक्षादूत बनाया, अभी भी कई स्थानों में झोपड़ी बनाकर शिक्षादूत बच्चों का भविष्य सुधार रहे हैं।
बस्तर में स्वास्थ्य सुविधा सबसे बड़ी चुनौती है, पिछड़ा क्षेत्र होने के कारण बेहतर तरीके से स्वास्थ्य सुविधा बस्तरवासियों को नहीं मिल पा रही है। हालांकि इन 24 सालों में सरकार सुविधा को बढ़ाने के लिए निरन्तर प्रयास में जुटी हुई है। बस्तर में स्वास्थ्य सुविधा बेहतर करने के लिए एक मेडिकल कॉलेज शुरू किया गया है, साथ ही बस्तर में जल्द स्वास्थ्य सुविधा मिले इसके लिए 108 संजीवनी एक्सप्रेस, 102 महतारी एक्सप्रेस और डायल 112 भी शुरू किया गया है। वहीं अंदरूनी इलाकों में जहां चार पहिया एम्बुलेंस नहीं पहुंच पाती है. उन क्षेत्रों के लिए बाइक एम्बुलेंस की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। बस्तर जिले के डिमरापाल में एक सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल का निर्माण कराया गया है, अस्पताल फिलहाल अधूरा है, जिसके कारण इसका शुभारंभ नहीं हो पाया है।
बस्तर के सातों जिलों में लगातार सड़कों का निर्माण जारी है, हजारों किलोमीटर सड़कों का निर्माण पूरे बस्तर संभाग में हुआ है। बस्तर में सबसे चुनाैतीपूर्ण सड़कें सुकमा-कोंटा, दोरनापाल-जगरगुंडा, पल्ली-बारसूर, नारायनपुर-ओरछा, बीजापुर-बासागुड़ा, जगदलपुर-सुकमा, दंतेवाड़ा-बीजापुर, बीजापुर-भोपालपट्टनम हैं. इसके अलावा ब्लॉक मुख्यालय से ग्राम पंचायतों तक सड़कों का निर्माण संभव हुआ है। हालांकि वर्तमान की स्थिति में कई ऐसे गांव है जो आज भी जुड़ नहीं पाए हैं। वहीं बड़े-बड़े पुल-पुलियों का निर्माण बस्तर में हुआ है। इनमें भोपालपट्टनम में इंद्रावती नदी पर बना पुल महाराष्ट्र और तेलंगाना को जोड़ता है, साथ ही अबूझमाड़ के छिंदनार में बना पुल शामिल हैं, वहीं कई छोटे बड़े पुल का निर्माण भी हुआ है। बस्तर एयर कनेक्टिविटी से जुड़ गय, हालांकि शेड्यूल को लेकर इंडिगो ने जगदलपुर से रायपुर की सेवा बंद की है, जिसे जल्द शुरू करने की मांग बस्तर के जनप्रतिनिधियों और आम नागरिकों ने की है। इसके अलावा जगदलपुर से रेल पड़ोसी राज्य आंध्रप्रदेश के विशाखापट्टनम और कोलकाता जैसे महानगर से जुड़ गया है। साथ ही इसके अलावा बस्तर को राजधानी रायपुर से जोड़ने के लिए लंबे समय से रावघाट रेल लाइन की मांग की जा रही है, जिसका कार्य अधूरा है जिसे लेकर लाेगाें में भारी नाराजगी है।
बस्तर में पहले केवल तीरथगढ़, चित्रकोट, तामड़ाघूमर, मेन्द्रीघुमर, कुटुमसरगुफा का ही दीदार पर्यटक करते थे. लेकिन इन 24 सालों में कई पर्यटन क्षेत्र बस्तर में मिले हैं, जिसे देखने के लिए हजारों से संख्या में पर्यटक देश विदेश से बस्तर पहुंचते हैं। इनमें हांदावाड़ा जलप्रपात, झारालावा जलप्रपात, फुलपाड जलप्रपात, नीलमसरई जलप्रपात, नम्बी जलप्रपात, जलप्रपात, मंडवा जलप्रपात, बिजाकसा जलप्रपात, टोपर जलप्रपात, दंडक गुफा, हरी गुफा, मादरकोंटा गुफा, कैलाश गुफा, मिचनार हिल्स स्टेशन, जैसे कई जलप्रपात और गुफाएं शामिल हैं. इसके अलावा बस्तर की संस्कृति से रूबरू करवाने के लिए होम स्टे के साथ ही बैम्बू राफ्टिंग, कयाकिंग जैसे एडवेंचर पर्यटन स्थल भी शुरू किया गया है।लेकिन पर्यटकाें के लिए पर्याप्त सुविधाओं के अभाव में पर्यटकाें काे परेशानी का सामना करना पड़ता है, जिसके लिए काेई कार्ययाेजना अब तक नहीं बनाया जाना पर्यटन की असीम संभावनाओं का बस्तर पर ग्रहण लगा हुआ है।