कभी अपनी सत्‍ता स्‍थापित करनेवाले अंग्रेजों ने भी स्‍वीकारा, भारत की आर्थ‍िक ग्रोथ दुनिया में सबसे तेज है | The Voice TV

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कभी अपनी सत्‍ता स्‍थापित करनेवाले अंग्रेजों ने भी स्‍वीकारा, भारत की आर्थ‍िक ग्रोथ दुनिया में सबसे तेज है

Date : 18-Nov-2024

“ब्रिटिश अर्थव्यवस्था को भारत ने पीछे छोड़ दिया है। भारत में शानदार आर्थिक नीतियां और सुधार हुए हैं। भारत और यूनाइटेड किंगडम के पास एक-दूसरे से तकनीक और कृषि जैसे क्षेत्रों में काफी कुछ सीखने का अवसर है। भारत ने पिछले 100 वर्षों में जबरदस्त प्रगति की है और उसकी नेतृत्वकारी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।” दुनिया में भारत अपने तरीकों से कैसे छा रहा है, यह इस बात का प्रमाण है, कि आज ब्रिटिश की पूर्व प्रधानमंत्री लिज ट्रस को भी इस कथन के साथ यह स्‍वीकार करना पड़ रहा है कि पश्चिमी देश गंभीर संकट में हैं, जबकि भारत ने शानदार आर्थिक नीतियों और सुधारों के के साथ ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को पीछे छोड़ा है। इसके लिए वे पूरा श्रेय भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रीमण्‍डल को देती हैं। और कहती हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐतिहासिक तीसरे कार्यकाल का होना निश्‍चित ही एक बड़ी उपलब्धि है, खासकर ऐसे वैश्विक माहौल में जहां मौजूदा सरकारों को सत्ता में बने रहना मुश्किल हो रहा है। यह भारत में हो रहे आर्थिक सुधारों का प्रतीक है और यह दर्शाता है कि लोगों का मानना ​​है कि देश सही दिशा में आगे बढ़ रहा है।

इसके साथ ही वे अपने देश के लिए भी भारत का साथ बहुत मायनों में सार्थक और आवश्‍यक मानती हैं, इसलिए आज एलिजाबेथ ट्रस कह रही हैं कि यह एक समान भागीदारी है। दोनों पक्षों के लिए  प्रौद्योगिकी, रक्षा और कृषि के क्षेत्रों में अवसर बहुत बड़े हैं। इसे आज समझने की जरूरत है। उन्‍होंने उम्मीद जताई है कि दोनों देश एक मुक्त व्यापार समझौते पर सहमत होंगे। वहीं, चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए अमेरिका, ब्रिटेन, जापान और भारत द्वारा स्थापित क्वाड गठबंधन में भारत की भूमिका बहुत महत्‍वपूर्ण और प्रशंसनीय है।  निश्‍चित ही, “भारत अब विश्व की सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश है और एक पुराना लोकतंत्र है। भारत भविष्य में एक बड़ी नेतृत्वकारी भूमिका निभाएगा। यह बेहद रोमांचक है। भारत क्वाड का हिस्सा है, जो चीन से बढ़ते खतरे के मद्देनजर खास तौर पर महत्वपूर्ण है।” वे भारत को आज वैश्विक मंच पर बड़ी भूमिका निभाने वाले देश के रूप में देखती हैं ।
देखा जाए तो ब्रिटिश की पूर्व प्रधानमंत्री लिज ट्रस जो कह रही हैं, वह पूरी तरह से सच ही नजर आ रहा है, भले ही सत्‍ता के संघर्षों एवं उसे प्राप्‍त करने की लालसा में भारत में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का विपक्ष इस बात को स्‍वीकार नहीं करे और आर्थ‍िक मोर्चे पर तमाम प्रश्‍न खड़े कर मोदी सरकार को घेरने का प्रयास करे, किंतु आज इतना तय है और यह बार-बार सामने आ रहा है कि पूरी दुनिया भारत की आर्थ‍िक ताकत को स्‍वीकार कर रही है। जबकि 10 साल पहले का यह वही भारत है, आर्थ‍िक मोर्चे पर जिसकी प्रशंसा करने में दुनिया के तमाम वैश्‍विक लीडर्स को पसीना आ जाया करता था, लेकिन अब इस बात को सभी एक मत होकर स्‍वीकार कर रहे हैं कि आर्थ‍िक क्षेत्र में भारत ने जो पिछले एक दशक में छलांग लगाई है, वह दुनिया के किसी भी देश के मुकाबले सबसे तेज है । 
वस्‍तुत: यह आज के ताजा भारत के आंकड़े हैं जो हर भारतीय को गर्व से भर देनेवाले हैं। वर्तमान में जीडीपी में 7% की वृद्धि और 151,000 से अधिक स्टार्टअप के साथ, भारत अपनी अर्थव्यवस्था को नया आकार दे रहा है । पिछले दशकों में चीन के तेजी से उदय ने इसे विश्व मंच पर एक प्रमुख खिलाड़ी बना दिया है, जबकि भारत की हालिया वृद्धि ने वैश्विक ध्यान आकर्षित किया है, जिसने इसे एक दुर्जेय प्रतियोगी के रूप में स्थापित किया है। आज सिर्फ पूर्व प्रधानमंत्री लिज ट्रस ही नहीं, यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम के अध्यक्ष जॉन चैंबर्स भी यह कह रहे हैं कि "इस सदी के अंत तक, भारत न केवल चीन से आगे निकल जाएगा, बल्कि जीडीपी के मामले में 100 प्रतिशत बड़ा होगा।" उनका आशावाद ऊंची-ऊंची भविष्यवाणियों में नहीं, बल्कि पिछले एक दशक में भारत द्वारा की गई ठोस प्रगति में निहित था, जो परिवर्तनकारी नीतियों और सुधारों से प्रेरित है, जिसने इसके आर्थिक परिदृश्य को नया आकार दिया है। इसने देश के असाधारण उदय और वैश्विक मंच पर इसके भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा के लिए माहौल तैयार किया।
जॉन चैंबर्स का कहना है, "पहले पांच वर्षों के लिए, मैं तर्क दूंगा, इस प्रशासन ने दशक के लिए मंच तैयार करने का अद्भुत काम किया।" विश्व बैंक के भारत विकास अपडेट के अनुसार, देश की जीडीपी वित्त वर्ष 2024-25 में 7% की मजबूत दर से बढ़ने का अनुमान है, जो दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में इसकी स्थिति को रेखांकित करता है। यह वृद्धि गति लगातार बनी हुई है, जिसमें जीडीपी वित्त वर्ष 2022-23 में 7.0% से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 8.2% हो गई है। ये संख्याएँ न केवल भारत की अर्थव्यवस्था के लचीलेपन को दर्शाती हैं, बल्कि एक सुनियोजित रणनीति के फल भी हैं। यह एक तथ्‍य है कि  “पिछले पांच वर्षों में, जबकि भारतीय बाजारों ने लगातार लगभग 15 प्रतिशत चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर दी है, वित्त वर्ष 23-24 एक असाधारण वर्ष था, जिसमें बेंचमार्क सूचकांक 28 प्रतिशत बढ़े जबकि अस्थिरता केवल 10 प्रतिशत पर कम रही । 
बाजार के प्रदर्शन के अलावा, भारत के विकास की जड़ें डिजिटल इंडिया जैसी रणनीतिक पहलों में देखी जा सकती हैं । कहना होगा कि 2015 में शुरू की गई इस पहल का उद्देश्य भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज में बदलना था और इसके परिणाम उल्लेखनीय रहे हैं। डिजिटल इंडिया के सबसे महत्वपूर्ण परिणामों में से एक यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) द्वारा लाया गया परिवर्तन है, जिसने भारतीयों के लेन-देन के तरीके को नया रूप दिया है। वित्त वर्ष 2015 में UPI का 92 करोड़ लेन-देन से विकास 2017-18 से वित्त वर्ष 2023-24 में 13,116 करोड़ लेनदेन तक डिजिटल भुगतान को व्यापक रूप से अपनाए जाने को दर्शाता है। इस सफलता ने सुविधा को फिर से परिभाषित किया है और भारत को डिजिटल वित्त में वैश्विक नेता के रूप में स्थापित किया है। UPI से परे, CoWIN प्लेटफ़ॉर्म COVID-19 महामारी के दौरान एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में उभरा, जो भारत के टीकाकरण अभियान के लिए डिजिटल रीढ़ की हड्डी के रूप में कार्य कर रहा है। इसने एक भी दिन की रुकावट के बिना 220 करोड़ से अधिक खुराक देने में सक्षम बनाया, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की देश की क्षमता को दर्शाता है। 
CoWIN न केवल वैश्विक संकट के लिए भारत की प्रभावी प्रतिक्रिया का प्रतिनिधित्व करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे डिजिटल बुनियादी ढांचा बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य पहलों का समर्थन कर सकता है। साथ में, ये उपलब्धियाँ दर्शाती हैं कि डिजिटल इंडिया ने दीर्घकालिक विकास के लिए तैयार डिजिटल रूप से समावेशी अर्थव्यवस्था की नींव रखी है। इस डिजिटल क्रांति का प्रभाव भुगतान और पहचान सत्यापन से परे है। आयुष्मान भारत योजना के तहत 35.6 करोड़ से अधिक आयुष्मान कार्ड जारी किए गए हैं, जिससे लाखों लोगों को स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच मिली है। इसके अलावा, 9 करोड़ से ज़्यादा फास्टैग जारी किए जा चुके हैं, जो 2023 में दुनिया भर में बनने वाले वाहनों की संख्या के लगभग बराबर है, जिससे देश के राजमार्गों पर सुगम यात्रा की सुविधा मिलती है। इस तरह की उपलब्धियाँ भारत के डिजिटल परिवर्तन की व्यापक प्रकृति को उजागर करती हैं, जो जीवन के हर पहलू को छूती हैं और सतत आर्थिक उन्नति को बढ़ावा देती हैं।
भारत के सकारात्मक आर्थिक दृष्टिकोण के आधार पर, सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अनंत नारायण जी इस संबंध में जब कहते हैं कि भारत में स्टार्टअप्स की तीव्र वृद्धि को देश की आर्थिक उन्नति में एक महत्वपूर्ण कारक स्‍थापित किया है, तो उनकी यह बात पूरी तरह से सच लगती है।  उनके अनुसार "केवल 10 से 12 साल पहले, भारत में बहुत कम स्टार्टअप थे। वस्तुतः पिछले समय की अवधि में, 2015 से 2022 तक, स्टार्टअप्स में निवेश 15 गुना बढ़ गया।" निवेश में इस उछाल ने एक गतिशील उद्यमी पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा दिया है। भारत अब दुनिया के तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप इकोसिस्टम का घर है, जिसमें 151,000 से अधिक मान्यता प्राप्त स्टार्टअप हैं। 2016 में शुरू की गई स्टार्टअप इंडिया पहल ने 15.5 लाख से अधिक प्रत्यक्ष नौकरियों का सृजन करते हुए इस वृद्धि को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह इस बात का प्रमाण है कि कैसे सही नीतियों द्वारा समर्थित नवाचार, दबाव वाली चुनौतियों का समाधान करते हुए आर्थिक विकास को गति दे सकता है। 
इसके साथ ही विश्‍व भर में आर्थ‍िक क्षेत्र के अंदर तेजी से शक्‍तिशाली भारतीय प्रदर्शन यह बता रहा है कि मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान बहुत गहरा काम किया है। हर क्षेत्र में समग्रता के साथ ध्‍यान दिया जा रहा है। अब एआई का क्षेत्र ही ले लें, जैसे ही दुनिया में इसके बारे में चर्चा शुरू हुई, तुरन्‍त ही भारत ने इसे अपने लिए एक अवसर माना और इस पर काम शुरू कर दिया । मोदी सरकार द्वारा 2023 में “AI for India 2.0” जैसी पहल शुरू करने और 2024 में ग्लोबल इंडियाAI समिट की मेज़बानी करने के साथ, यह स्पष्ट है कि भारत वैश्विक मंच पर AI में खुद को अग्रणी के रूप में स्थापित कर रहा है। भारत का AI पर यह ध्यान केवल तकनीकी उन्नति के बारे में नहीं है, बल्कि कल की नौकरियों में कुशल कार्यबल बनाने के बारे में है, जो निरंतर आर्थिक विकास को सुनिश्चित करता है। हालांकि, भारत की आर्थिक कहानी केवल शीर्ष पर विकास के बारे में नहीं है। 
उदाहरण के तौर पर आप प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) जैसी योजनाओं द्वारा संचालित डिजिटल समावेशन को देख सकते हैं,  जिसने पहले से बैंकिंग सेवाओं से वंचित लाखों व्यक्तियों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली में लाया है। एक दशक पहले अपनी शुरुआत के बाद से, PMJDY ने 53 करोड़ से ज़्यादा बैंक खाते खोले हैं, जिससे लोगों को वित्तीय सेवाओं तक पहुँच बनाने और अर्थव्यवस्था में भागीदारी करने में मदद मिली है। इस तरह का जमीनी स्तर का विकास यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है कि भारत का विकास समावेशी हो, जिससे देश के हर कोने में समृद्धि का लाभ पहुंचे। भारत के आर्थ‍िक विकास का एक पायदान अपने नागरिकों को आवास व्‍यवस्‍था उपलब्‍ध कराना है। प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (PMAY-U) के तहत, 1.18 करोड़ से ज़्यादा घरों को मंज़ूरी दी गई है, जिनमें से 87.25 लाख से ज़्यादा का निर्माण और वितरण हो चुका है। यह महत्वाकांक्षी आवास पहल लाखों परिवारों को सुरक्षित, हर मौसम के अनुकूल घर देकर जीवन बदल रही है, जिसमें किफायती आवास समाधान चाहने वाले मध्यम वर्ग के लोग भी शामिल हैं। इस योजना के ठोस परिणाम इस बात का एक और संकेत हैं कि कैसे भारत दीर्घकालिक विकास की नींव रख रहा है, साथ ही यह सुनिश्चित कर रहा है कि कोई भी पीछे न छूटे, स्थिरता को बढ़ावा दे रहा है और कई लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर रहा है।
वर्तमान की यह सच्‍चाई है कि विनिर्माण को बढ़ावा देने और युवाओं की रोजगार क्षमता में सुधार लाने पर सरकार का ध्यान, भारत की युवा और महत्वाकांक्षी आबादी के साथ मिलकर आर्थिक विकास के लिए एक अनूठा अवसर प्रस्तुत करता है। जैसे-जैसे देश वित्त वर्ष 2027 से 2028 तक 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है, विनिर्माण और उभरते उद्योगों का विस्तार और स्वच्छ ऊर्जा विकल्पों की ओर संक्रमण से उच्च गुणवत्ता वाली, औपचारिक और हरित नौकरियाँ पैदा होने की संभावना है। इससे कई भारतीय राज्यों को मदद मिलेगी जो तेजी से विकास करने की आकांक्षा रखते हैं, क्योंकि वे पहले से ही भारत के जनसांख्यिकीय लाभ का लाभ उठाने के लिए इन क्षेत्रों में निवेश कर रहे हैं। इसके बाद, श्रम बाजार में सुधार भविष्य के सर्वेक्षणों में परिलक्षित होने की संभावना है।
इस सब को देखते हुए कहना होगा कि सदी के अंत तक भारत चीन की आर्थिक ताकत को पीछे छोड़ देगा, यह बात कुछ लोगों को महत्वाकांक्षी लग सकती है, लेकिन पिछले एक दशक में देश की प्रगति उनके शब्दों को वजन देती है। डिजिटल तकनीक को अपनाने, स्टार्टअप्स के उदय, शेयर बाजार के मजबूत प्रदर्शन, एआई पर मजबूत फोकस और समावेशी विकास के प्रति प्रतिबद्धता के साथ, भारत एक ऐसे रास्ते पर है जो आने वाले वर्षों में वैश्विक आर्थिक गतिशीलता को फिर से परिभाषित कर सकता है । अब उम्‍मीद करें कि जो आज ब्रिटिश की पूर्व प्रधानमंत्री लिज ट्रस कह रही हैं, वह सिर्फ वर्तमान का सच ही नहीं है, भारत की मोदी सरकार के प्रभावी काम का परिणाम भविष्‍य में लम्‍बे समय तक देखने को मिलेगा। भारत फिर एक बार आर्थि‍क क्षेत्र में अपने अतीत के वैभवशाली क्षितिज को पुन: प्राप्‍त करेगा।
 
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