15 अगस्त 1872 - 5 दिसंबर 1950
महर्षि अरविंद एक महान भारतीय दार्शनिक, क्रांतिकारी और शिक्षाविद् थे, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और शिक्षा तथा अध्यात्म के क्षेत्र में गहरा योगदान दिया। उनका पालन-पोषण एक अंग्रेज़ी वातावरण में हुआ, जहाँ उनके पिता डॉ. कृष्णधन घोष ने उन्हें पश्चिमी शिक्षा और संस्कृति के अनुरूप तैयार किया। अरविंद ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा विदेश में प्राप्त की और उच्च शिक्षा के बाद भारत लौटकर स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। वे केवल एक क्रांतिकारी नहीं थे, बल्कि एक दूरदर्शी विचारक भी थे, जिन्होंने भारतीय संस्कृति, योग और दर्शन को आधुनिक दृष्टिकोण से व्याख्यायित किया। शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने एक समग्र और आत्मिक दृष्टिकोण का समर्थन किया, जो केवल ज्ञानार्जन तक सीमित नहीं था, बल्कि आत्मविकास और आध्यात्मिक उन्नति की ओर भी उन्मुख था। उनका जीवन भारतीय नवजागरण का प्रतीक है, जिसमें राष्ट्रवाद, आध्यात्मिकता और मानवता का गहरा समन्वय देखने को मिलता है।