राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ साहित्य निर्माण में जिन कार्यकर्ताओं की भूमिका रही उनमे से एक होन्गासान्द्रा वेंकेटरमैया शेषाद्री का नाम प्रमुख है |26 मई 1926 में उनका जन्म बैंगलोर में हुआ | 1943 में स्वयं सेवक बने | 1940 में मैसूर विश्वविद्यालय से रसायन विज्ञान स्वर्ण पदक पा कर उन्होने MSC किया | और अपना जीवन प्रचारक के नाते राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ हेतु समर्पित कर दिया | प्रारंभ में उनका कार्य क्षेत्र बैंगलोर विभाग फिर कर्नाटक प्रान्त फिर पूरा दक्षिण भारत रहा |1986 तक वे दक्षिण भारत में ही सक्रिय रहे श्री यादव कृष्ण जोशी से भी प्रभावित रहे | 1987 से 2000 तक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ सरकार्यवाह के नाते पुरे भारत में तथा विश्व के कुछ देशो में भी प्रवास किया | कार्य में व्यस्त होने के बाद भी वे लिखने के लिए समय निकाल लेते थे , उन्होंने 'विक्रम', 'उत्थान', 'आर्गनाइजर' व पाञ्चजन्य और लखनऊ के राष्ट्रीय धर्म मासिक लिखते रहते थे | उनके लेखो की पत्रिका के लिए पाठक उत्सुकता से प्रतीक्षा करते रहते थे | उन्होंने संघ तथा अन्य हिन्दू साहित्य के प्रकाशन के लिए श्री यादव कृष्ण जोशी के निर्देशन में बैंगलोर राष्ट्रीय उत्थान परिषद् की स्थापना की ,सेवक कार्य के विस्तार व संस्कृत के उत्थान के लिए सदैव कार्य किया शेषाद्री जी ने यूं तो 100 से भी अधिक पुस्तके लिखी और उन्होंने ही सर्वप्रथम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रमुख श्री गुरुजी के अद्वितीय व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं बताया | सीताराम गोयल ने उनकी पुस्तक "The Tragic Story of Partition" की सराहना की बाद में पूर्व प्रधानमन्त्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी उनके इस कार्य की प्रशंसा की। अपने राष्ट्र और अपने देशवासियों की सेवा के लिए समर्पित जीवन जीने के बाद, 2005 में उनका निधन हो गया। उनके अंतिम संस्कार में हजारों से भी अधिक लोग शामिल हुए ।