भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने मंगलवार को कहा कि उसका चंद्रयान-3 मिशन तय समय पर है। इसरो ने अपने आधिकारिक एक्स (ट्विटर) हैंडल पर यह खुशखबरी साझा करते हुए विक्रम लैंडर से ली गई चांद की नई तस्वीरें जारी की हैं। इसरो ने कहा है कि विक्रम लैंडर की चांद पर लैंडिंग का लाइव प्रसारण उसकी वेबसाइट, उसके यू-ट्यूब चैनल, फेसबुक और डीडी नेशनल टीवी पर 23 अगस्त को शाम 5 बजकर 27 मिनट पर शुरू होगा।
चंद्रयान-3 की लैंडिंग के साथ ही भारत अंतरिक्ष विज्ञान की दुनिया में इतिहास रच देगा। अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश होगा। मगर सबसे खास यह है कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला भारत दुनिया का इकलौता देश होगा। इसरो ने कहा है कि अगर सबकुछ ठीक-ठाक रहा तो 23 अगस्त को भारतीय समय पर शाम 6 बजकर 4 मिनट पर लैंडर विक्रम चांद की सतह पर उतरेगा। इसी के साथ चांद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की मुट्ठी में होगा।
...और बचपन में नानी-दादी से लोरी के रूप में सुना गया 'चंदा मामा दूर के...' गीत मन की सुधियों में हिलोरें मारने लगेगा। सिनेमा हाल के परदे में चांद पर केंद्रित गूंजे वो तमाम गीत भी आंखों में तैर जाएंगे। कोई गुनगुनाएगा-धीरे-धीरे चल चांद गगन में...,खोया-खोया चांद, खुला आसमान...,चौदहवीं का चांद हो या आफताब हो...,ये चांद सा रोशन चेहरा, जुल्फों का रंग सुनहरा...चलो दिलदार चलो चांद के पार चलो...,चंदा रे चंदा रे कभी तो जमीन पर आ बैठेंगे बातें करेंगे..., जानें कितने दिनों के बाद गली में आज चांद निकला...चांद छुपा बादल...,गली में आज चांद निकला...,चांद को क्या मालूम चाहता है उसे कोई चकोर...,वो चांद खिला वो तारे हंसे..., आओ तुम्हे चांद पे ले जाएं., प्यार भरे सपने सजाएं...।
स्मृति शेष प्रख्यात और प्रतिष्ठित साहित्यकार विद्यानिवास मिश्र लिख गए हैं- चंद्रमा के जन्म-कर्म के संबंध में अनेक कथाएं हैं। कहीं वे महर्षि अत्रि की संतान हैं, कहीं त्रिपुरसुंदरी की बांयीं आंख से समुद्भूत कहे गए हैं और कहीं उदधि के वे पुत्र कहे गए हैं, पर इन सब से अलग और विचक्षण कल्पना है कि ‘चंद्रमा मनसो जात:’ चंद्रमा विराट पुरुष के मन से उत्पन्न हुए हैं। मन से उत्पन्न हुए हैं तभी तो बुध के पिता हैं और मनोभव के अभिन्न मित्र। तभी तो अंतर्जगत के समस्त सौंदर्य के और जीवन के निश्शेष अमृतत्व के अकेले प्रतीक हैं। चंद्रमा का पथ पृथ्वी की परिक्रमा के साथ-साथ मनुष्य की ऊंची उड़ान की लकीर है। सनद रहे भारत ने इसी साल 14 जुलाई को चंद्रमा पर चंद्रयान शृंखला का अपना तीसरा मिशन लॉन्च किया, जो सबसे ऊंची उड़ान साबित होने के बिलकुल करीब है।