बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन | The Voice TV

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सपनों को हकीकत में बदलने से पहले, सपनों को देखना ज़रूरी है – डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम

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बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन

Date : 05-Sep-2023

बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन महान दार्शनिक, तत्ववेत्ता, धर्मशास्त्री , शिक्षाशास्त्री, एवं कुशल राजनीतिज्ञ थे इन्होंने भारत के राष्ट्रपति जैसे पद को सुशोभित किया हमारे पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस को हम शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं। शिक्षा के महत्व को उन्होंने जिस तरह रेखांकित किया, वह अनुकरणीय है।श्री राधाकृष्णन ने अपने जीवन के महत्वपूर्ण 40 वर्ष शिक्षक के रूप में व्यतीत किए। उनमें एक आदर्श शिक्षक के सारे गुण मौजूद थे। राधाकृष्णन का मानना था किएक अच्छे शिक्षक को पता होना चाहिए कि वह अध्ययन के क्षेत्र में छात्रों की रुचि कैसे पैदा कर सकता है। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन से जुड़े एक ऐसा किस्सा जो यहाँ दर्शता है की अध्यापक को भी एक छात्रा से भी शिक्षा मिल सकती है | 

बात उस समय की है जब डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन बहुत छोटे थे। वे मद्रास के एक ईसाई मिशनरी स्कूल में पढ़ते थे। एक बार वह अपनी कक्षा में पढ़ाई कर रहे थे। जो अध्यापक कक्षा में पढ़ा रहे थे वे ईसाई थे और वह अक्सर कक्षा में धर्म की बातें छेड़ दिया करते थे। उस दिन भी वह पढ़ाते-पढ़ाते विद्यार्थियों को धर्म के बारे में बताने लगे और साथ ही साथ हिंदू धर्म पर कटाक्ष करने लगे। वे हिंदू धर्म को दकियानूसी, अंधविश्वास से भरा, रूढ़िवादी और भी बहुत कुछ कहने लगे।

राधाकृष्णन अपने अध्यापक की बातें गौर से सुन रहे थे। जब अध्यापक अपनी बातें पूरी कर चुप हुए तब राधाकृष्णन अपनी जगह पर खड़े हो गए और उन्होंने अपना हाथ ऊपर उठाया। वह धैर्यपूर्वक बोले, ‘महाशय! मेरा एक प्रश्न है।अध्यापक ने कहा, ‘बोलो, क्यापूछना चाहते हो?’ बालक राधाकृष्णन बोले- महाशय, क्या आपका ईसाई मत दूसरों की निंदा करने में विश्वास रखता है?

 

छोटे से बालक के मुंह इस तरह का प्रश्न सुनकर अध्यापक चौंक गए। बालक के प्रश्न में सत्यता थी। चूंकि हर धर्म समानता और एकता का ही संदेश देता है, अध्यापक के पास कोई उत्तर नहीं था। उन्होंने बालक राधाकृष्णन से पूछा, ‘क्या, हिंदू धर्म दूसरे धर्मों का सम्मान करता है? बालक ने उत्तर दिया- बिल्कुल महोदय! हिंदू धर्म अन्य धर्मों में कोई भी बुराई नहीं ढूंढता। इसका प्रमाण गीता में है। गीता में श्री कृष्ण ने कहा है- भगवान की आराधना के अनेक तरीके, अनेक मार्ग हैं। मगर उनका लक्ष्य एक ही है। सर्व धर्म सम भाव हिंदू धर्म की एक अवधारणा है जिसके अनुसार सभी धर्मों द्वारा अनुसरण किए जाने वाले मार्ग भले ही अलग हो सकते हैं, किंतु उनका गंतव्य एक ही है। क्या इस भावना में सभी धर्मों को अच्छा स्थान नहीं मिलता? कोई भी धर्म अन्य धर्म की निंदा करने की सीख कभी नहीं देता। एक सच्चा धार्मिक व्यक्ति वह है, जो सभी धर्मों का सम्मान करे। राधकृष्णन की बातें सुनने के बाद अध्यापक ने फिर कभी इस तरह बातें करने का प्रण कर लिया।

ऐसे महान व्यक्ति थे राधाकृष्णन जो बाल्यकाल से ही अपने धर्म के प्रति  धर्म निरपेक्ष दृष्टिकोण रखते थे |

 

 

 

 

 

साक्षर हमें बनाते हैं,

जीवन क्या है समझाते हैं।

जब गिरते हैं हम हार कर तो साहस वही बढाते हैं

ऐसे महान व्यक्ति ही तो शिक्षक गुरु कहलाते हैं

 
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