स्वस्थ शरीर ही रोगों से बचाव की सबसे बड़ी ढाल है। आयुर्वेद में कई ऐसी प्राकृतिक औषधियाँ हैं जो शरीर को अंदर से मजबूत बनाती हैं, उन्हीं में से एक है मुनक्का। इसे एक शक्तिशाली आयुर्वेदिक टॉनिक माना जाता है, जो शरीर को ऊर्जा देने के साथ कई स्वास्थ्य समस्याओं में राहत प्रदान करता है।
प्रतिदिन सीमित मात्रा में मुनक्का का सेवन करने से थकान, कमजोरी और एनीमिया जैसी समस्याओं में लाभ मिलता है। विशेषज्ञों के अनुसार यह फेफड़ों को मजबूत करता है और खून बढ़ाने में सहायक होता है। आयुर्वेद में मुनक्का (द्राक्षा) को शीतल, मधुर और रसायन गुणों से भरपूर बताया गया है, जो वात और पित्त दोष को संतुलित करता है तथा शरीर की रूखापन दूर करता है।
आचार्य चरक ने मुनक्का को बलवर्धक और रक्तवर्धक द्रव्य माना है, जो शरीर के सभी ऊतकों को पोषण देता है। सूखी खांसी, मुंह का सूखना, अधिक गर्मी, थकावट और कमजोरी में यह विशेष रूप से लाभकारी है। इसमें मौजूद आयरन, कॉपर और प्राकृतिक शर्करा हीमोग्लोबिन बढ़ाने में मदद करती है।
रोजाना 4–5 मुनक्का गुनगुने दूध या पानी में भिगोकर खाने से एनीमिया में सुधार देखा जा सकता है। यह रक्त को शुद्ध करता है, जिससे चक्कर आना और कमजोरी धीरे-धीरे कम होती है। मुनक्का एक प्राकृतिक एनर्जी बूस्टर है, जो तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाता है। पढ़ाई, मानसिक कार्य और शारीरिक मेहनत करने वालों के लिए यह बेहद फायदेमंद है।
फेफड़ों और श्वसन तंत्र की सेहत के लिए भी मुनक्का उपयोगी है। यह सूखेपन को कम करता है, बलगम को मुलायम बनाकर बाहर निकालने में मदद करता है और शुष्क खांसी में राहत देता है। मानसिक स्वास्थ्य पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह मन को शांत करता है और तनाव, चिड़चिड़ापन व ओवरथिंकिंग में आराम देता है।
नींद की समस्या से परेशान लोगों के लिए मुनक्का लाभकारी है। रात को मुनक्का उबालकर उसका पानी पीने से अच्छी नींद आती है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स याददाश्त और एकाग्रता बढ़ाते हैं। यह हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है, खराब कोलेस्ट्रॉल घटाता है और पाचन तंत्र को दुरुस्त करता है। कब्ज और एसिडिटी में भी यह राहत देता है।
विशेषज्ञों के अनुसार 4 या 8 मुनक्का रातभर भिगोकर सुबह सेवन करें। गर्मियों में पानी और सर्दियों में दूध के साथ लेना बेहतर होता है। इसे चाय या बहुत गर्म चीजों के साथ नहीं खाना चाहिए। हालांकि डायबिटीज के मरीजों, ठंडी प्रकृति वालों और अधिक मात्रा लेने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह जरूरी है, क्योंकि अधिक सेवन से दस्त जैसी समस्या हो सकती है।
