कुष्ठ रोग के इलाज में कारगर है कनेर. | The Voice TV

Quote :

तुम खुद अपने भाग्य के निर्माता हो - स्वामी विवेकानंद

Health & Food

कुष्ठ रोग के इलाज में कारगर है कनेर.

Date : 31-Jul-2023

 कुष्ठ रोग जिसे कोढ़ भी कहा जाता है, एक सदियों पुरानी बीमारी है जिसका नाम प्राचीन सभ्यताओं के साहित्य में भी मिलता है। यह एक संक्रामक रोग है जो माइकोबैक्टीरियम लेप्री प्रकार के बैक्टीरिया के कारण होता है। यह रोग स्किन, पेरिफेरल नर्वस, अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट के म्यूकोसा और आंखों को प्रभावित करता है। अगर कुष्ठ रोग का इलाज शुरुआत में ही शुरू कर दिया जाए तो इसके कारण होने वाली विकलांगता को रोका जा सकता है। WHO के मुताबिक, आज के समय में भी शारीरिक विकृति के अलावा, कुष्ठ रोग से प्रभावित व्यक्तियों को कलंक और भेदभाव का भी सामना करना पड़ता है।


कुष्ठ रोग कैसे फैल सकता है?  
कुष्ठ रोग नाक या मुंह से निकलने वाले ड्रॉपलेट के माध्यम से एक से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। यह बीमारी कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्ति के साथ हाथ मिलाने या गले मिलने, साथ में खाना खाने या एक-दूसरे के बगल में बैठने से नहीं फैलती है। मरीज  का अगर इलाज चल रहा है तो यह बीमारी नहीं फैलती है।

कोढ़ का आयुर्वेदिक इलाज
आचार्य बालकृष्ण के अनुसार, सफेद कनेर की जड़ के साथ कुटज-फल, करंज-फल, दारुहल्दी की छाल और चमेली की नयी पत्तियों को पीसें और इसका एक लेप बनाएं। इसे लेप को लगाने से कुष्ठ रोग में आराम मिलेगा।
कनेर का पेड़ आपको आसानी से घर के आस-पास मिल जाएगा। इसके पत्तों को पानी उबालकर नहाने के पानी के साथ मिलाएं। रोजाना इससे नहाने से आपको कुष्ठ रोग में बहुत लाभ होगा।
पीले फूल वाले कनेर की जड़ से पकाए गए तेल को लगाने से कुष्ठ रोग में फायदा होता है।
सफेद रंग के कनेर की छाल को पीसकर इसके लेप को लगाने से कोढ़ में फायदा होता है।

(ये लेख सामान्य जानकारी के लिए है, किसी भी उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें)


 

 
RELATED POST

Leave a reply
Click to reload image
Click on the image to reload










Advertisement