अमेरिका ने एक बार फिर यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) से बाहर निकलने की घोषणा की है। इस बार, अमेरिका ने यूनेस्को पर जागृति (wokeness) और विभाजनकारी सांस्कृतिक-सामाजिक मुद्दों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है।
यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्रे अज़ोले ने इस फैसले को "खेदजनक लेकिन अपेक्षित" बताया।
यह कदम ट्रंप प्रशासन की उस नीति का हिस्सा है, जिसके तहत अंतरराष्ट्रीय संगठनों से अमेरिका की दूरी बढ़ाई जा रही है। इससे पहले अमेरिका विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और पेरिस जलवायु समझौते से भी बाहर हो चुका है, साथ ही विदेशी सहायता फंडिंग में भी कटौती की गई थी।
यूनेस्को, जिसके वर्तमान में 194 सदस्य देश हैं, विश्व धरोहर स्थलों को सूचीबद्ध करने और वैश्विक शिक्षा, विज्ञान और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है।
यह निर्णय दिसंबर 2026 से प्रभावी होगा। उल्लेखनीय है कि 2017 में भी ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका को यूनेस्को से अलग कर दिया था, जिसे बाद में जो बाइडेन सरकार ने पलट दिया और अमेरिका की सदस्यता बहाल की गई थी।
अब ट्रंप की वापसी के साथ, यह निर्णय एक बार फिर अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से दूरी की नीति को रेखांकित करता है।