चिली के राष्ट्रपति चुनाव के पहले चरण में किसी भी उम्मीदवार को स्पष्ट बहुमत न मिलने के कारण अब मुकाबला वामपंथी उम्मीदवार जीननेट जारा और दक्षिणपंथी नेता जोस एंटोनियो कास्ट के बीच सिमट गया है। दिसंबर में होने वाला दूसरा चरण ही देश के अगले राष्ट्रपति का फैसला करेगा।
आंशिक परिणामों में 52.39 प्रतिशत मतों की गिनती के बाद जारा 26.58 प्रतिशत वोटों के साथ सबसे आगे हैं, जबकि कास्ट 24.32 प्रतिशत वोटों के साथ दूसरे स्थान पर हैं। तीसरे प्रमुख उम्मीदवार, जोहानिस कैसर, पराजय स्वीकार कर चुके हैं और आगे की दौड़ से बाहर हो गए हैं।
चुनावी अभियान पर हत्या, अपहरण और जबरन वसूली जैसे बढ़ते अपराधों का गहरा प्रभाव रहा, जिनका संबंध विदेशी आपराधिक गिरोहों से जोड़ा जा रहा है। प्रवासी आबादी भी 2017 के बाद दोगुनी होकर 8.8 प्रतिशत तक पहुंच गई है, जो चुनावी बहस का महत्वपूर्ण मुद्दा बनी हुई है।
यद्यपि जारा पहले दौर में आगे हैं, लेकिन 14 दिसंबर को होने वाले निर्णायक चुनाव में उनकी राह आसान नहीं मानी जा रही। इसका कारण यह है कि सभी दक्षिणपंथी उम्मीदवारों को मिले कुल मत वामपंथी उम्मीदवारों के मतों से कहीं अधिक हैं। ऐसे में कास्ट दक्षिणपंथी समर्थन को एकजुट कर दूसरे दौर में बढ़त हासिल कर सकते हैं।
जारा की योजना पुलिस बल को मजबूत करने, संगठित अपराध से निपटने के लिए बैंकिंग गोपनीयता समाप्त करने और बढ़ती जीवन-यापन लागत को नियंत्रित करने पर केंद्रित है। दूसरी ओर, कास्ट डोनाल्ड ट्रंप जैसी कड़ी आप्रवासन नीति अपनाना चाहते हैं और बोलिविया सीमा पर दीवारें व खाइयाँ बनाने का प्रस्ताव रख रहे हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार यह चुनाव दक्षिण अमेरिका में वामपंथ के हालिया कमजोर होते प्रभाव की एक महत्वपूर्ण परीक्षा के रूप में देखा जा रहा है, विशेषकर अर्जेंटीना और बोलिविया के बदलते राजनीतिक परिदृश्य के संदर्भ में।
