विदेश विभाग द्वारा वित्त पोषित एक संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी कॉलेजों में 2025 तक भारतीय छात्रों के नामांकन में उल्लेखनीय कमी दर्ज की जा रही है। 2024-25 शैक्षणिक वर्ष में भारत से स्नातक स्तर के नामांकन में 10% की गिरावट आई है, जबकि 2025 की शरद ऋतु तक कुल अंतरराष्ट्रीय छात्र नामांकन में 17% गिरावट का अनुमान है। 61% से अधिक अमेरिकी संस्थानों ने भारतीय छात्रों की संख्या में कमी की पुष्टि की है, जिनमें से 96% ने इसका कारण वीज़ा आवेदन से जुड़ी चिंताओं को बताया, जबकि शेष ने यात्रा प्रतिबंधों को जिम्मेदार माना।
इसके बावजूद, भारत 2024-25 में भी अंतरराष्ट्रीय छात्रों का सबसे बड़ा स्रोत बना हुआ है। सभी स्नातक छात्रों में लगभग आधे और कुल अंतरराष्ट्रीय नामांकन में एक-तिहाई भारतीय छात्र हैं। कुल अंतरराष्ट्रीय नामांकन में 10% की वृद्धि देखी गई है, हालांकि स्नातक कार्यक्रमों में गिरावट बनी हुई है।
रिपोर्ट इस गिरावट को ट्रंप प्रशासन के दौरान अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर की गई कड़ी निगरानी से जोड़ती है। इसमें एच-1बी वीज़ा के दुरुपयोग के आरोप, 1 लाख डॉलर के प्रस्तावित एच-1बी आवेदन शुल्क, और रूढ़िवादी सांसदों द्वारा एच-1बी कार्यक्रम को सीमित या समाप्त करने के प्रयास शामिल हैं। जनवरी से विदेश विभाग कम से कम 6,000 छात्र वीज़ा रद्द कर चुका है।
अंतरराष्ट्रीय छात्र अमेरिकी उच्च शिक्षा प्रणाली का लगभग 6% हिस्सा हैं और देश की अर्थव्यवस्था में 55 अरब डॉलर का योगदान करते हैं, जिससे 3.55 लाख से अधिक नौकरियाँ उत्पन्न होती हैं।
