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संघ ने भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण के लिए दिव्य धारा प्रवाहित की- पुष्कर सिंह धामी

Date : 05-Nov-2025

देहरादून, 05 नवंबर | मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड की रजत जयंती पर आहूत विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के 100 वर्ष पूर्ण होने पर संगठन के देश निर्माण में योगदान की औपचारिक सराहना की। उन्होंने कहा कि संघ की इस तपोमयी यात्रा ने आत्मगौरव, सामाजिक समरसता, सांस्कृतिक पुनर्जागरण और राष्ट्र के लिए दिव्य धारा प्रवाह की है। इसने देश के कोने-कोने में राष्ट्रीय चेतना की अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित कर दिव्य धारा प्रवाहित करने का काम किया है।

मुख्यमंत्री धामी का यह वक्तव्य देवभूमि उत्तराखंड विधानसभा के इतिहास में ऐतिहासिक क्षण के रूप में दर्ज हो गया। राज्य स्थापना के 25 वर्ष पूर्ण होने पर मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के योगदान का औपचारिक अभिनंदन किया। उत्तराखंड विधानसभा देश की पहली संवैधानिक संस्था बन गई, जिसने संघ के राष्ट्र निर्माण, सामाजिक जागरण और सांस्कृतिक पुनर्जागरण में दिए योगदान को सदन में आधिकारिक रूप से मान्यता दी।

पुष्कर धामी ने कहा, ''राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपनी 100 वर्षों की तपोमय यात्रा के माध्यम से भारत में सांस्कृतिक पुनरुत्थान के लिए संघर्ष किया। जो भारत कभी गुलामी की मानसिकता से ग्रस्त था, आज वही अपने सांस्कृतिक मूल्यों, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और परंपराओं पर गर्व करता है। यह आत्मगौरव संघ की शताब्दी तपस्या का ही परिणाम है।''

मुख्यमंत्री ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड ने अपने 25 वर्ष के विकास के सफर में अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं। राज्य ने सदैव विकल्प रहित संकल्प के साथ प्रगति की राह पर कदम बढ़ाया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आगामी वर्षों में जनता के सहयोग से उत्तराखंड को देश का श्रेष्ठ राज्य बनाने का लक्ष्य अवश्य पूरा होगा।

इस ऐतिहासिक अवसर पर पूरे सदन में एकता, आत्मगौरव और राष्ट्रभक्ति की भावना का संचार हुआ। विधानसभा में पारित यह भावनात्मक अभिव्यक्ति न केवल उत्तराखंड बल्कि संपूर्ण देश के लिए संघ की राष्ट्र सेवा की शताब्दी यात्रा को सम्मानित करने वाला क्षण बन गई। सत्र के समापन पर मुख्यमंत्री धामी ने संघ शाखा में गाए जाने वाले प्रेरक गीत की पंक्तियों के साथ अपनी बात समाप्त की- ''ये उथल-पुथल उछाल लहर/ पथ से न डिगाने पाएगी/ पतवार चलाते जाएंगे/ मंजिल आएगी, आएगी…।''

 
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