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क्या है डिजिटल अरेस्ट, बचने के आसान तरीके

Date : 03-Nov-2024

डिजिटल अरेस्ट एक नई तरह की ऑनलाइन ठगी है, जिसमें स्कैमर्स खुद को सरकारी अधिकारी बताकर लोगों से संपर्क करते हैं, खासकर वीडियो कॉल के माध्यम से, और उन्हें किसी फर्जी अपराध में शामिल होने का आरोप लगाते हैं। यह धोखाधड़ी तेजी से भारत में फैल रही है, और हाल में देशभर में कई ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जहां फ्रॉड करने वालों ने लोगों को डिजिटल अरेस्ट करके करोड़ों रुपये हड़प लिए। सरकार भी इस ठगी के तरीके से चिंतित है और लोगों को सतर्क रहने के लिए लगातार जागरूक कर रही है। इसी संदर्भ में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने 'मन की बात' पॉडकास्ट में डिजिटल अरेस्ट पर चर्चा की है, और उन्होंने देशवासियों को साइबर फ्रॉड से बचने के लिए 'रुको- सोचो- एक्शन लो' का मंत्र दिया है।

डिजिटल अरेस्ट क्या है?

शुरुआत करने से पहले यह समझना जरूरी है कि डिजिटल अरेस्ट क्या होता है। यह एक नई तरह की ऑनलाइन ठगी है, जिसमें स्कैमर्स खुद को सरकारी अधिकारी बताकर लोगों से संपर्क करते हैं, खासकर वीडियो कॉल के जरिए, और उन्हें किसी फर्जी अपराध में शामिल होने का आरोप लगाते हैं। वे पीड़ितों को धमकी देते हैं कि अगर उन्होंने इस (नकली सरकारी अधिकारी) की मदद नहीं की, तो उन्हें भारी जुर्माना और लंबी कैद का सामना करना पड़ेगा। इसके बाद, वे पैसे की मांग करते हैं। इस तरह पीड़ित को जाल में फंसाकर मजबूर किया जाता है कि वह पैसे देने के लिए राजी हो जाए

पीएम मोदी ने 'डिजिटल अरेस्ट' के बारे में जानकारी देने से पहले इससे संबंधित एक वीडियो दिखाया, जिसमें उन्होंने बताया कि ये घटनाएं कैसे अंजाम दी जाती हैं। उन्होंने कहा कि फ्रॉड करने वाले पुलिस, सीबीआई, नारकोटिक्स या RBI के अधिकारियों की भूमिका निभाकर लोगों को डराते हैं। पीएम ने इसे फरेब करार दिया और बताया कि ये धोखेबाज कैसे अपने शिकार को फंसाते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि पहला कदम इनका यह होता है कि वे आपकी व्यक्तिगत जानकारी इकट्ठा करते हैं। दूसरा कदम होता है डर का माहौल बनाना, जिससे पीड़ित मानसिक दबाव में आ जाता है। पीएम ने कहा कि ये धोखेबाज फोन कॉल पर इतना डराते हैं कि व्यक्ति सोचने की स्थिति में नहीं रहता।

इसके बाद उन्होंने बताया कि तीसरा दांव समय की कमी का दिखावा करना होता है, जिससे मनोवैज्ञानिक दबाव इतना बढ़ जाता है कि व्यक्ति डरकर डिजिटल अरेस्ट का शिकार हो जाता है।

पीएम मोदी ने लोगों से कहा कि हर उम्र के लोग डिजिटल अरेस्ट का शिकार हो रहे हैं और डर के कारण अपनी मेहनत से कमाए हुए लाखों रुपये गंवा रहे हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि यदि आपको इस तरह की कॉल आती है, तो सबसे पहले आपको डरने की जरूरत नहीं है। आपको यह समझना चाहिए कि कोई भी जांच एजेंसी फोन या वीडियो कॉल के जरिए इस तरह की पूछताछ नहीं करती।

PM मोदी ने डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड से बचने के लिए तीन स्टेप्स शेयर किए हैं। यह 'रुको-सोचो-एक्शन लो' मंत्र है। 

1.      पहला स्टेप है 'रुको', जिसमें उन्होंने कहा कि लोगों को सबसे पहले रुकना चाहिए और व्यक्तिगत जानकारी किसी से भी शेयर नहीं करनी चाहिए। अगर संभव हो तो स्क्रीनशॉट लेना चाहिए या रिकॉर्डिंग कर लेनी चाहिए।

2.      दूसरे स्टेप है 'सोचो', जहां लोगों को सोचना और समझना चाहिए कि कोई भी सरकारी एजेंसी फोन पर ऐसे धमकी कभी भी नहीं देती और वीडियो कॉल के जरिए पूछताछ करके पैसों की मांग नहीं करती है। 

3.      तीसरा स्टेप है 'एक्शन लो', जहां लोगों को ऐसे फ्रॉड करने वालों के खिलाफ तुरंत एक्शन लेना चाहिए। ऐसा करने के लिए आप साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 डायल करके आपके पास आई कॉल की सूचना दे सकते हैं या www.cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट दर्ज कर सकते हैं।

 
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