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भारत में अमेरिका जैसी AI ट्रैफिक तकनीक की एंट्री: गोवा और चेन्नई में लगेंगे स्मार्ट सिग्नल, ट्रैफिक जाम से मिलेगी राहत

Date : 07-Aug-2025

भारत अब अमेरिका की उन्नत AI ट्रैफिक तकनीक की राह पर चल पड़ा है। देश के दो प्रमुख शहर — गोवा और चेन्नई — जल्द ही AI आधारित स्मार्ट ट्रैफिक सिग्नल्स से लैस होंगे। इसका उद्देश्य ट्रैफिक जाम को कम करना और यात्रियों का सफर सुगम बनाना है। अमेरिका के नॉर्थ कैरोलिना में इस तकनीक की सफलता के बाद भारत में भी इसे अपनाने की शुरुआत हो गई है।

गोवा और चेन्नई में बड़े पैमाने पर तैयारियां

  • गोवा: मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने घोषणा की है कि राज्य के 91 प्रमुख चौराहों पर AI ट्रैफिक सिग्नल लगाए जाएंगे।

  • चेन्नई: यहां 165 व्यस्त ट्रैफिक पॉइंट्स पर इस स्मार्ट सिस्टम को लागू किया जाएगा। पहले चरण में अन्ना सलाई, जवाहरलाल नेहरू सलाई, सरदार पटेल रोड, कमराजर सलाई, राजाजी सलाई और टेलर्स रोड जैसे प्रमुख मार्गों को चुना गया है।

AI ट्रैफिक सिग्नल कैसे काम करते हैं?

AI आधारित ये सिग्नल पारंपरिक ट्रैफिक लाइट्स से कई गुना स्मार्ट होते हैं और मुख्यतः तीन हिस्सों में काम करते हैं:

  1. सेंसर: ये सड़क पर लगे होते हैं और वाहनों की गति और ट्रैफिक के बहाव की निगरानी करते हैं।

  2. AI कैमरे: ये गाड़ियों की संख्या, दिशा और प्रकार (जैसे कार, बाइक, ट्रक) की पहचान करते हैं।

  3. कंट्रोल यूनिट: कैमरों और सेंसर से मिले डेटा को प्रोसेस कर सिग्नल का समय वास्तविक ट्रैफिक के अनुसार एडजस्ट करती है।

इस सिस्टम की मदद से जहां ट्रैफिक कम होगा, वहां जल्दी ग्रीन सिग्नल मिलेगा। वहीं अधिक भीड़ होने पर सिग्नल टाइम बढ़ा दिया जाएगा — यह समय 30 से 120 सेकंड के बीच स्वचालित रूप से बदल सकता है।

इमरजेंसी और VIP मूवमेंट में भी मददगार

हालांकि यह पूरा सिस्टम ऑटोमैटिक होगा, लेकिन पुलिस को मैनुअल कंट्रोल की सुविधा भी मिलेगी। इससे एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड और VIP मूवमेंट के समय ट्रैफिक को प्राथमिकता के आधार पर नियंत्रित किया जा सकेगा।

‘ग्रीन कॉरिडोर’ योजना क्या है?

चेन्नई ट्रैफिक पुलिस की योजना है कि सभी स्मार्ट सिग्नलों को एक केंद्रीय कंट्रोल सिस्टम से जोड़कर 'ग्रीन कॉरिडोर' बनाया जाए। इसका मकसद यह है कि मुख्य सड़कों पर लगातार ग्रीन लाइट मिलती रहे, जिससे बिना रुके यात्रा संभव हो सके।

शुरुआती ट्रायल के नतीजे सकारात्मक

चेन्नई के EVR सलाई पर 6 चौराहों पर इस सिस्टम का परीक्षण किया गया, जिसके नतीजे काफी उत्साहजनक रहे। स्थानीय लोगों का कहना है कि ट्रैफिक जाम में पहले की तुलना में काफी कमी आई है और यात्रा का समय भी घटा है।
AI आधारित ट्रैफिक सिग्नल तकनीक भारत के शहरी ट्रैफिक सिस्टम में एक बड़ा बदलाव ला सकती है। अगर यह प्रयोग सफल रहता है, तो देश के अन्य महानगरों में भी इसे जल्द ही लागू किया जा सकता है।

 
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