पीएम मोदी के “एक दिन वैज्ञानिक बनकर बिताएं” के आह्वान पर भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) और स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (DHR) ने देशभर के छात्रों के लिए विज्ञान और स्वास्थ्य अनुसंधान के दरवाजे खोल दिए। 7 और 8 अगस्त को आयोजित S.H.I.N.E. (Science, Health and Innovation for Nextgen Explorers) नामक इस विशेष कार्यक्रम में कक्षा 9 से 12 के 13,150 छात्रों ने भाग लिया, जो 16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 39 जिलों के 300 से अधिक स्कूलों से पहुंचे थे। इसका उद्देश्य युवाओं में वैज्ञानिक जिज्ञासा जगाना, स्वास्थ्य और बायोमेडिकल रिसर्च की गहरी समझ विकसित करना और उन्हें विज्ञान व सार्वजनिक स्वास्थ्य में करियर बनाने के लिए प्रेरित करना था, ताकि भारत 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य की ओर मजबूती से बढ़ सके।
कार्यक्रम के दौरान स्वास्थ्य अनुसंधान सचिव और आईसीएमआर के महानिदेशक राजीव बहल ने कहा, “यह आईसीएमआर की अनूठी पहल है जो वैज्ञानिक सोच को प्रोत्साहित करने, नवाचार को बढ़ावा देने और अगली पीढ़ी के स्वास्थ्य शोधकर्ताओं को प्रेरित करने के लिए बनाई गई है। आज का दिन सिर्फ एक दौरा नहीं, बल्कि एक अवसर है कि आप एक वैज्ञानिक की भूमिका में कदम रखें,देखें, सवाल पूछें और अनुभव करें कि वैज्ञानिक अनुसंधान कैसे काम करता है।” उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे प्रयोगशालाओं का निरीक्षण करें, वैज्ञानिकों से बातचीत करें और भारत की चिकित्सा व स्वास्थ्य अनुसंधान में हुई प्रगति को प्रत्यक्ष रूप से समझें।
दो दिवसीय इस कार्यक्रम में कई रोचक और इंटरैक्टिव गतिविधियां शामिल थीं-जैसे गाइडेड लैब टूर, शोध प्रदर्शनी, पोस्टर वॉक, वीडियो प्रेजेंटेशन और चल रहे वैज्ञानिक कार्यों के लाइव डेमो। वहीं छात्रों को आईसीएमआर वैज्ञानिकों के साथ सीधा संवाद करने का मौका मिला, जिसमें उन्होंने अपने शोध क्षेत्रों, अनुभवों और सार्वजनिक स्वास्थ्य में योगदान की कहानियां साझा कीं। कार्यक्रम को और आकर्षक बनाने के लिए डॉ. क्यूरियो नामक एक मैस्कॉट को छात्रों का मित्रवत गाइड बनाया गया।
इस अवसर पर छात्रों ने आईसीएमआर की चार महत्वपूर्ण पहलों पर आधारित लघु फिल्में भी देखीं भारत में विकसित कोवैक्सिन वैक्सीन, स्वास्थ्य सेवा वितरण में iDRONE तकनीक का उपयोग, टीबी उन्मूलन अभियान, और विषाणु युद्ध अभ्यास जो भविष्य की महामारी तैयारी के लिए आयोजित देशव्यापी मॉक ड्रिल थी। वहीं 8 अगस्त का दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण इसलिए भी रहा क्योंकि इसी दिन विख्यात भारतीय मेडिकल वैज्ञानिक, पैथोलॉजिस्ट और लेखक डॉ. वुलिमिरी रामालिंगास्वामी की 104वीं जयंती थी, जो आईसीएमआर के महानिदेशक भी रह चुके थे। उनकी प्रेरणादायक विरासत ने इस कार्यक्रम को और अर्थपूर्ण बना दिया।
‘SHINE’ पहल के माध्यम से आईसीएमआर ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि वैज्ञानिक सोच, अनुसंधान और नवाचार में युवाओं की भागीदारी ही भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र और वैज्ञानिक भविष्य को मजबूत बना सकती है। यह पहल न केवल वैज्ञानिक जागरूकता बढ़ाने का माध्यम है, बल्कि यह आने वाली पीढ़ी को यह एहसास भी दिलाती है कि वे देश के विकास और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुधार में अहम भूमिका निभा सकते हैं।