रेडियो तरंगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने के लिए चुंबकीय ऊर्जा तरंगों का इस्तेमाल किया जाता है। यदि रेडियो के प्रसारण में चुंबकीय ऊर्जा तरंगों का सहायता ना लिया जाए, तो सूचनाओं का आदान-प्रदान इसके बिना नहीं हो सकता है। आजकल की युवा पीढ़ी को रेडियो में गाना सुनने का इतना मजा नहीं आता जितना की उनको आधुनिक स्मार्टफोन, टीवी में गाना सुनने का आता है। आपने भी रेडियो में गाना सुना होगा पर आपने कभी ये सोचा है रेडियो का आविष्कार किसने किया था?
रेडियो का आविष्कार किसने किया था?
रेडियो का आविष्कार गूल्येलमो मार्कोनी (Guglielmo Marconi) ने किया था। रेडियो का आविष्कार करने में मुख्य रूप से तीन वैज्ञानिकों को जाना जाता हैं Guglielmo Marconi, Reginald Fessenden और William Dubilier इन तीनों वैज्ञानिको के मेहनत के फल स्वरुप ही हम लोगों को रेडियो जैसा मनोरंजन का साधन मिला। साल 1864 में James Clerk Maxwell ने चुंबकीय उर्जा तरंगों का खुले आसमान में एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजे जाने की पुष्टि की। किन परेशानियों की वजह से हुए इस बात की पुष्टि नहीं कर पाए। इस अधूरी थ्योरी को बाद में Heinrich Hertz अपना पूरा सहयोग और योगदान देते हुए इस बात की पुष्टि की थी चुंबकीय तरंग एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसमान में भेजी जा सकती हैं। साल 1895 में गुल्येल्मो मार्कोनी ने टेलीग्राम की खोज की और फिर रेडियो का सिग्नल भेजा।
रेडियो का आविष्कार कब हुआ
रेडियो का आविष्कार सन 1880 के दशक में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंग की खोज की गई थी उसके बाद ही इसके आविष्कार के बारे में किताब में लिखी गई इस किताब को दुनिया के महान लोगो ने पढ़ा जिनमे जगदीश चंद्र बसु भी शामिल थे। बसु जी ने काफी गौर से पढ़ने के बाद इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों पर आधारित एक उपकरण बनाया। वैज्ञानिक प्रदर्शन के दौरान दूर रखी घंटी को इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों से बजाया जा सकता था यह बात मार्कोनी द्वारा रेडियो आविष्कार से पहले की है मार्कोनी ने रेडियो का अविष्कार 1890 के दशक में किया USA पेटेंट के रिकॉर्ड के मुताबिक गूल्येलमो मार्कोनी ने 1896 में रेडियो का अविष्कार किया था।
भारत में रेडियो का अविष्कार कब हुआ
भारत में रेडियो प्रसारण की शुरुआत 1920 के दशक में शुरू हो गया था और उसके बाद रेडियो पर पहला कार्यक्रम 1923 में मुंबई के रेडियो क्लब से शुरू किया गया था। उसके बाद 1927 में मुंबई और कोलकाता के दो निजी ट्रांसमीटरों से रेडियो का प्रसारण शुरू किया गया भारत में 1936 में सरकारी रेडियो स्टेशन का शुरू किया गया यही रेडियो स्टेशन जब भारत आजाद हुआ तब ऑल इंडिया रेडियो या आकाशवाणी के नाम से जाना जाने लगा। भारत में रेडियो स्टेशन 223 हैं और सारे रेडियो स्टेशन ऑल इंडिया या आकाशवाणी के हैं।
रेडियो का इतिहास
ब्रिटिश वैज्ञानिक James Clerk Maxwell ने रेडियो के आविष्कार की शुरुआत की। वह इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों पर काम किया करते थे। वह इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों का सटीक सिद्धांत नही दे पाए। इसके बाद ब्रिटिश वैज्ञानिक Oliver Heaviside ने इस खोज को आगे बढ़ाया लेकिन वह भी सटीक रूप से इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों को नही समझा पाए। इसके बाद आख़िरकार Heinrich Rudolf Hertz ने इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों की सफलतापूर्वक खोज की। उन्हें इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों से जुड़े मुख्य सवालो का जवाब ढूंढने में सफलता मिली। हर्ट्ज की खोज के बाद जगदीश चन्द्र बसु और ओलिवर लॉज जैसे वैज्ञानिकों ने खोज को आगे बढ़ाया।
आख़िरकार सन 1896 में गुलिएल्मो मार्कोनी ने रेडियो का आविष्कार किया। शुरुआत में इस खोज का उपयोग सेनाओं ने किया लेकिन बाद में खोज के कारीगर साबित होने के कारण सरकारें भी इसका इस्तेमाल करने लगी। बीबीसी जैसी कई बड़ी कम्पनियो ने पॉडकास्टिंग के लिए रेडियो तकनीकी का उपयोग करना शुरू कर दिया।
भारत में पहली बार 1920 में मुम्बई से रेडियो प्रसारण शुरू किया गया इसके लियर मुम्बई में रेडियो क्लब तैयार किया गया। 1923 में मुम्बई के रेडियो क्लब से पहले बड़े कार्यक्रम का रेडियो से प्रसारण किया गया। इसके बाद 1927 में मुम्बई और कलकत्ता में निजी स्वामित्व वाले 2 ट्रांसमीटरों से प्रसारण सेवा की स्थापना हुई।
1930 में ट्रांसमीटरों को सरकार के नियन्त्रण में ले लिया और ‘भारतीय प्रसारण सेवा’ के नाम से प्रसारण शुरू किया जिसका नाम बाद में ‘आल इंडिया रेडियो’ कर दिया गया था। आजादी के बाद AIR ने रेडियो को आगे बढ़ाना शुरू किया। दुनिया में रेडियो स्टेशन सबसे पहले न्यूयॉर्क में 1918 में बनाया गया था न्यूयॉर्क में सबसे पहला रेडियो स्टेशन द फॉरेस्ट नाम से शुरू किया गया था लेकिन जब पुलिस को पता चला तो उन्होंने या रेडियो स्टेशन बंद करवा दिया फिर 1920 में कानूनी तौर पर फिर से रेडियो स्टेशन शुरू किया गया।