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" लक्ष्य निर्धारण एक सम्मोहक भविष्य का रहस्य है " -टोनी रॉबिंस

Science & Technology

भारतीय विज्ञान

Date : 01-Oct-2022

विज्ञान एक ऐसी विद्या या ज्ञान है  जहा संसार में  उपस्थित हर वस्तु  या घटना के बारे में जानने का प्रयास किया जाता है और इन वस्तु और घटना के पीछे मुख्य रूप से  3 सवालों क्या ,क्यों और कैसे का जवाब ढको खोज की जाती है या खोजने का प्रयास किया जाता है। इसकी अनेक शाखाएं है और कई नई शाखाओं  का जन्म होते रहता है जिससे यह क्षेत्र और जुड़ा विस्तृत और समृद्ध होते जा रहा है। यह एक प्रकार से हम कह सकते है की विज्ञान मानव को जिज्ञासा का परिणाम है और मानव ने अपनी जिज्ञासा को शांत करने के लिए क्या क्या कार्य किए है इनके बारे में हम विज्ञान विषय के अंतर्गत अध्ययन करते है। इस विषय , क्षेत्र में हर जगह के लोगो चाहे वे भारत के हो या अफ्रीका , यूरोप , अमेरिका या अन्य जगह के हो सभी ने योगदान दिया है। पश्चिम देशों के योगदान के बारे में तो सभी जानते है। इस लेख में हम भारतीय विज्ञान के बारे में , विज्ञान में भारतीय वैज्ञानिकों की उपलब्धियों और उनके योगदान के बारे में जानने का प्रयास करेंगे।

क्या आपको पता है भारतीय पंचांग कैलेंडर के अनुसार सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण की जो तिथि तय की जाती है वह आधुनिक स्पेस एजेंसी  के द्वारा  अनुमानित तिथि के एकदम बराबर समय और दिनांक (date) की होती है। जबकि इस प्रक्रम  में तो ये स्पेस एजेंसियां अरबों लाखो रुपए के बने टेलीस्कोप जैसे उपकरणों का प्रयोग करती है तो वही पंचांग द्वारा तय किया गया  समय ग्रह और नक्षत्रों की दिशा व चाल पर आधारित होती है वह भी बिना किसी अत्याधुनिक उपकरणों की इतनी सटीक। भारतीय विज्ञान से संबंधित एक ताजा उदाहरण कोरोना काल में  देखने को मिला जहां  न सिर्फ देश के लोगो ने बल्कि विदेश के लोगो ने भी गिलोय ,अश्वगंधा, हल्दी, और अन्य कई जड़ी_ बूटियों  के  बने हुए  काढे को खूब पिया। ये भी एक  भारतीय विज्ञान की ही एक खोज है । जिसे हम आयुर्विज्ञान या आयुर्वेद के नाम से जानते है। ये तो बस  भारतीय विज्ञान के  सैंपल  है भारतीय विज्ञान ज्ञान का एक ऐसा समुंद्र है जहा गोते लगाने पर ही गोते में एक नई  और अनोखी मोती   आपको नजर आएगी। देश विदेश के कई वैज्ञानिक हमारे इस विज्ञान का लोहा मानते है।
भारत के विज्ञान के कई ऐसे पहलू भी है जिनसे अब तक दुनिया का परिचय  नहीं हुआ है । किंतु इतना अनोखा विज्ञान के होने के बावजूद हम आज भी कई अन्य देशों से पिछड़े हुए क्यों है ? यह सवाल हर व्यक्ति  के मन के कौंधता  जरूर होगा । इसके पीछे का सबसे सटीक कारण हमारा अपने ही  प्राचीन भाषा  जो को संस्कृत है उससे  अनजान होना ।  दूसरा कारण इन विज्ञानी का लिखित रूप में बहुत कम बुक  होना और जो बुक्स है वो भी कहा और किस हालत में है ये शायद ही किसी को पता हो।
भारत में इस क्षेत्र का विकास बहुत पुराना है विकास की यह यात्रा प्राचीन काल से शुरू होती है और अभी भी इसमें कुछ न कुछ नए कार्य हो रहे है और उपलब्धियां हम हासिल कर रहे है । पुराने समय में भारत में नक्षत्र विज्ञान बहुत उन्नत था जिसे खगोलशास्त्र  के रूप में जाना जाते था। प्राचीन काल की बात करे तो  इस दौरान शून्य , पाई , दशमलव , पंचकर्म और धातुकर्म , रसविद्या, जैसे कई अविष्कार हुए । कई महत्वपूर्ण  भारतीय वैज्ञानिकों ने कई महत्वपूर्ण अविष्कार किए जैसे आर्यभट( जिन्हे स्पेस साइंस के पिता कहा जाता है)  ने शून्य का अविष्कार किया और पाई का मान निकलने वाले पहले वैज्ञानिक थे।, शुश्रुत ( प्लास्टिक सर्जरी के जनक), चरक ( आयुर्वेद के जनक), बोधायन का पायथगोरस प्रमेय और ज्यामिति के क्षेत्र में योगदान,  भास्कराचार्य महान गणितज्ञ और ज्योतिषी हुए जिन्होंने ग्रहों की दिशा चाल से संबंधित सिद्धांतो का प्रतिपादन किया।  
वही वराहमिहिर ज्योतिष, और खगोलविज्ञान( स्पेस साइंस) में योगदान दिया।इन्होंने अपनी  सरस प्रस्तुति के माध्यम से खगोलविज्ञ जैसे मुश्किल विषय को भी रोचक और समझने में आसान बना दिया। इसके अलावा इन्होंने भूविज्ञान ( जियोलॉजी), जलविज्ञान( हाइड्रोलॉजी) एवम इकोलॉजी से संबंधित  कुछ  टिप्पणियां की थी । जैसे उन्होंने कहा था की पृथ्वी(अर्थ)  के पास ऐसी कोई शक्ति है जो यह वस्तुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है। जिसे आज हम gravitation कहते है। वराहमिहिर ने कुछ प्रमुख ग्रंथो जैसे वृहत संहिता, वृहत जातक लिखी।  इसके अलावा इन्होंने वनस्पति शास्त्र में भी अपना योगदान दिया। महर्षि पतंजिल  जिन्हे योग का  पिता कहा जाता है उन्होंने योग का अविष्कार और उसके विश्व में प्रचार प्रसार में योगदान दिया।  एक अन्य और प्रभावशाली वैज्ञानिक नागार्जुन भी का जन्म भारत भूमि में हुआ। एक रसायनशास्त्री और कीमियागर (alchemist) के रूप में जाने जाते है। जिन्होंने रसायन के क्षेत्र में एक ग्रंथ रसरत्नाकर की रचना की इस ग्रंथ में धातुओं के निष्कर्षण और  उन्हें शुद्ध करने के तरीके , धातुओं को सोने में बदलने के तरीके का विवरण प्रस्तुत किया है।इसके अलावा नागार्जुन ने एक अन्य पुस्तक भी लिखी जिसमे उन्होंने रसायनों का प्रयोग करते हुए दवाइयां बनाए और संजीवनी निर्माण के बारे में लिखा है। प्राचीन काल से लेकर मध्यकाल तक इन सभी वैज्ञानिकों ने कार्य किया और इनके योगदान के फलस्वरूप ही भारत उस समय विज्ञान के क्षेत्र में विश्व गुरु के रूप में जाना जाता था।
कुछ समय के लिए किन्ही कारणों से विज्ञान के क्षेत्र में होने वाले कार्य थोड़े समय के लिए रुक गये थे। किंतु भारतीय फिर से जागृत हुए और आधुनिक युग में नई उमंगो, नए विचारों के साथ कई क्रांतिकारी कार्यों की शुरुवात हुई । आधुनिक समय में विज्ञान की अलग अलग शाखा में अनेको महान वैज्ञानिक हुए जैसे श्रीनिवास रामानुज जो कि एक महान गणितज्ञ थे जिनके गणित के क्षेत्र में योगदान के कारण इस शाखा में भारत का नाम रोशन हुआ और देश को नई पहचान मिली। भौतिक की शाखा में जो महान वैज्ञानिक हुए उन्हें हम सी,वी, रमन  के नाम से जानते है इन्होंने अपने रमन प्रभाव प्रतिपादन किया और पूरा विश्व इन्हे इनके रमन प्रभाव के खोज की वजह से जानता है।  इसके अलावा रमन नोबल पुरस्कार पाने वाले  न केवल पहले  भारतीय बल्कि पूरे एशिया में पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्हे यह पुरस्कार दिया गया। अंतरिक्ष और परमाणु विज्ञान के क्षेत्र के प्रमुख विज्ञानी के तौर पीआर अपनी पहचान बनाने  वाले भारतीय वैज्ञानिक विक्रम साराभाई को कौन नहीं जानत। इन्होंने भारत के पहले सैटेलाइट आर्यभट्ट के निर्माण में योगदान दिया। इस पहले सैटेलाइट की लॉन्चिंग की शुरुआत की से आज भारत न केवल खुद की बल्कि अन्य देशों का भी सैटेलाइट लॉन्च करने में सक्षम हुआ है । हाल फिलहाल में सिंगापुर और कुछ अन्य देशों के कुल 103 सैटेलाइट को एक साथ लॉच करके इसरो द्वारा रचा इतिहास इसका ताजा उदाहरण है।
अब हम बात करते है विज्ञान और अभियांत्रिकी के क्षेत्र के नायक ,पूर्व राष्ट्रपति, जिन्हे मिसाइल मैन के नाम से जाना जाता है एपीजे अब्दुल कलाम की। जिन्हे भारत में मिसाइल युग की शुरुआत करने का श्रेय दिया जाता है।  इसके अलावा कई अन्य प्रमुख वैज्ञानिक भी हुए जैसे वनस्पति के जगदीश चंद्र बोस, पक्षी विशेषज्ञ डॉ सलीम अली,परमाणु विज्ञान के होमी जहांगीर भाभा, बीरबल साहनी (फादर ऑफ इंडियन पेलियो बॉटनी ) मोक्षगुंडम विश्वैश्वरैया जिनकी याद में हम हर साल इंजीनियर दिवस मनाते है। इनसभी साइंटिस्टस के योगदान से भारतीय विज्ञान इतना समृद्ध हो गया कि यह अन्य देशों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
फिर भी हम अपने जितने पुराने ज्ञान के बारे में जानते थे उनका भरपूर प्रयोग करते हुए सैटेलाइट लॉन्च एवम दूसरे ग्रहों के बारे में जानने के लिए कई मिशनों की लांचिंग करने , वैक्सीन , दवाओं के निर्माण क्षेत्र, सुपर कंप्यूटर,मिसाइलों , ड्रोन और अन्य उपकरणों के निर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन गए है।
 
 
लेखिका - कल्याणी साहू 
 
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