गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के शीर्ष आठ शहरों में मैन्युफैक्चरिंग लीजिंग 2027 तक बढ़कर 33.7 मिलियन वर्ग फीट तक पहुँचने का अनुमान है। यह देश के कुल इंडस्ट्रियल और वेयरहाउसिंग अब्जॉर्प्शन का लगभग आधा हिस्सा होगा। इसके साथ ही, रिपोर्ट कहती है कि देश में मैन्युफैक्चरिंग स्पेस डिमांड 2027 तक 34 मिलियन वर्ग फीट तक पहुँच सकती है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि घरेलू मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की मजबूत लीजिंग गतिविधि और बढ़ती स्पेस आवश्यकताएँ इंडस्ट्रियल रियल एस्टेट को नई दिशा दे रही हैं। 2024 में मैन्युफैक्चरिंग लीजिंग 22.1 मिलियन वर्ग फीट दर्ज की गई और 2027 तक इसका योगदान कुल अब्जॉर्प्शन का 46% होने का अनुमान है। यह मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की मजबूत बाजार स्थिति को दर्शाता है।
ग्रेड-ए प्रॉपर्टी की बढ़ती मांग
रिपोर्ट के अनुसार, ग्रेड-ए इंडस्ट्रियल प्रॉपर्टी की मांग 2019 के 70% से बढ़कर 2024 में 82% हो गई है। शीर्ष आठ शहरों में यह 2025 की तीसरी तिमाही तक बढ़कर 87% तक पहुँच गई। इसका कारण है ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, व्हाइट गुड्स और इंजीनियरिंग सेक्टर में उच्च-स्तरीय, कस्टमाइज्ड सुविधाओं की बढ़ती आवश्यकता।
लीजिंग गतिविधि में 7 गुना उछाल
जेएलएल इंडिया के इंडस्ट्रियल और लॉजिस्टिक्स हेड योगेश शेवड़े ने बताया कि 2020 से 2024 के बीच लीजिंग गतिविधि में सात गुना वृद्धि इस बात का संकेत है कि मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों ने अपनी रियल एस्टेट रणनीति में बड़े बदलाव किए हैं। कंपनियाँ अब तेजी से लीज्ड लैंड और बिल्ड-टू-सूट मॉडल अपना रही हैं और निर्णय लेने की प्रक्रिया भी तेज हुई है।
पुणे और चेन्नई अग्रणी बाजार
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2025 की तीसरी तिमाही तक भारत के आठ टियर-1 शहरों में पुणे और चेन्नई सबसे बड़े मैन्युफैक्चरिंग बाजार बनकर उभरे हैं, जो कुल मांग का 75% हिस्सा योगदान कर रहे हैं। इनके अलावा, बेंगलुरु, मुंबई और दिल्ली-एनसीआर जैसे शहर भी मजबूत लीजिंग गतिविधि दर्ज कर रहे हैं और कुल ग्रोथ को आगे बढ़ा रहे हैं।
