एक नए भारतीय अध्ययन में पहली बार स्पष्ट प्रमाण मिला है कि एकल-उपयोग पीईटी (PET) बोतलों से बनने वाले नैनोप्लास्टिक सीधे उन महत्वपूर्ण जैविक प्रणालियों को प्रभावित कर सकते हैं, जो मानव स्वास्थ्य के लिए जरूरी हैं। यह अध्ययन मोहाली स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ नैनो साइंस एंड टेक्नोलॉजी (INST) द्वारा किया गया है, जो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) का स्वायत्त संस्थान है।
नैनोप्लास्टिक भोजन और पानी में पाए जाते हैं और बढ़ती मात्रा में मानव शरीर के भीतर भी मिल रहे हैं, लेकिन उनके प्रभावों की पूरी जानकारी अभी तक स्पष्ट नहीं थी। अब तक अधिकांश शोध प्लास्टिक के पर्यावरण प्रदूषण या ऊतकों को होने वाले नुकसान पर केंद्रित थे, जबकि मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण आंतों के लाभकारी जीवाणुओं पर इनके सीधे प्रभाव को लेकर जानकारी बहुत कम थी।
INST की केमिकल बायोलॉजी यूनिट के शोधकर्ताओं — प्रशांत शर्मा और साक्षी दगरिया — के नेतृत्व वाली टीम ने पहली बार ऐसे प्रमाण प्रस्तुत किए हैं, जो नैनोप्लास्टिक के गंभीर स्वास्थ्य प्रभावों को उजागर करते हैं। अध्ययन में पाया गया कि लंबे समय तक नैनोप्लास्टिक के संपर्क से लाभकारी बैक्टीरिया की वृद्धि और उपनिवेश बनाने की क्षमता घट जाती है, उनकी सुरक्षा करने की भूमिका कमजोर हो जाती है, जबकि तनाव प्रतिक्रियाएं और एंटीबायोटिक के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है।
शोधकर्ताओं ने कहा कि इनके निष्कर्ष बताते हैं कि रोजमर्रा के प्लास्टिक से बनने वाले नैनोप्लास्टिक जैविक रूप से सक्रिय कण हैं, जो आंतों के स्वास्थ्य, रक्त कोशिकाओं की स्थिरता और कोशिकाओं के बुनियादी कार्यों में हस्तक्षेप कर सकते हैं। अध्ययन Nanoscale Advances जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
टीम ने प्रयोगशाला में PET बोतलों से नैनोप्लास्टिक तैयार किए और उन्हें तीन प्रमुख जैविक मॉडलों पर परखा। आंत की उपयोगी बैक्टीरिया प्रजाति Lactobacillus rhamnosus पर किए गए परीक्षणों में पाया गया कि नैनोप्लास्टिक आंत माइक्रोबायोम को असंतुलित कर सकते हैं। उच्च सांद्रता पर ये नैनोकण लाल रक्त कोशिकाओं की झिल्ली को नुकसान पहुंचाते हैं और उन्हें समय से पहले नष्ट कर देते हैं।
इसके अलावा, लंबे समय तक संपर्क में रहने पर कोशिकाओं में डीएनए क्षति, ऑक्सीडेटिव तनाव, कोशिका मृत्यु (apoptosis) और सूजन संकेत बढ़ते पाए गए। ऊर्जा और पोषक चयापचय में भी बदलाव देखे गए। शोधकर्ताओं के अनुसार, नैनोप्लास्टिक मानव एपिथीलियल कोशिकाओं पर गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं और ऐसे स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकते हैं, जिनकी पहले पहचान नहीं हुई थी।
अध्ययन का निष्कर्ष यह भी बताता है कि नैनोप्लास्टिक का प्रभाव केवल मनुष्यों तक सीमित नहीं है। इनके असर कृषि, पोषण और पारिस्थितिकी तंत्र अनुसंधान तक फैले हुए हैं, जहां माइक्रोबियल संतुलन और प्लास्टिक प्रदूषण एक साथ जुड़ते हैं।
