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जगदलपुर : आदिवासी इंजीनियरिंग की मिसाल है बस्तर दशहरा का दुमंजिला विशाल रथ

Date : 17-Oct-2023

 नवनिर्मित चार पहियों वाले रथ का संचालन 16 अक्टूबर से किया जायेगा

जगदलपुर। बस्तर संभाग मुख्यालय में सबसे लंबी अवधि 75 दिनों तक चलने वाले रियासत कालीन परंपराओं के साथ बस्तर दशहरा पर्व में लकड़ी से बनाये जाने वाले दुमंजिला रथ 40 फुट उंचा, 32 फुट लंबा एवं 20 फिट चौड़ा भव्य रथ इसकी एक मिसाल है। पिछले 615 वर्षा से प्रति वर्ष एक नया रथ का निर्माण किया जाता है, एक वर्ष 08 चक्के का रथ बनाया जाता है, वहीं दूसरे वर्ष 04 पहियों वाले रथ का निर्माण किया जाता है।

प्रति वर्ष नये सिरे से बनाये जाने वाले इस रथ को बनाने वालों के पास भले ही किसी इंजीनियरिंग की डिग्री न हो लेकिन जिस कुशलता और समयावधि में इसे तैयार किया जाता है वह आदिवासी इंजीनियरिंग की मिसाल है। इस वर्ष 04 पहियों वाले नये रथ का निर्माण किया जा रहा है, नया रथ आकार लेने लगा है, जिसका संचालन जिसका संचालन 15 अक्टूबर को नवरात्रि के कलश स्थापना के दूसरे दिन 16 अक्टूबर से किया जायेगा। इन दो दिनों में नये रथ का निर्माण पूरा कर लिए जाने की बात रथ निर्माण के कारीगरों के मुखिया दलपति ने कहा है।

उल्लेखनीय है कि रथ के चक्कों से लेकर धुरी (एक्सल) तथा रथ के चक्कों व मूल ढांचे के निर्माण में अपने सीमित और पारंपरिक औजारों कुल्हाड़ी व बसूले सहित अन्य औजारों का उपयोग करते हैं। बस्तर दशहरा रथ के ग्रामीण कारिगर/शिल्पी जिस कुशलता के साथ दो मंजिले रथ का निर्माण करते हैं। इसे बनाने में 50 घन मीटर लकड़ी का उपयोग होता है। माचकोट एवं तिरिया के संमृद्ध साल वनों से लाए गए साल वृक्ष के मोटे तनों से रथ का एक्सल बनाया जाता है। इसके दोनों छोर पर चक्का बिठाने के लिए आकार तय किया जाता है। रथ परिचालन का सारा दारोमदार पहियों पर ही होता है।

रथ का पहिया बनाने के लिए मजबूत लकड़ियों के दो अर्धगोलाकार आकृतियों को आपस में बिठाकर पूर्ण गोलाकार चक्कों का रूप दिया जाता है। इन चक्कों का आकार, मोटाई व उनके बीच बने नार का निर्माण ऐसे होता है कि रथ के संचालन में आसानी हो। बस्तर दशहरा रथ के संचालन एवं अन्य रियासत कालीन परंपराओं को देखने के लिए देशी/विदेशी पर्यटक अपार उत्कंठा लिए बस्तर पहुंचते हैं। बस्तर दशहरा के दुमंजिला लकड़ी से निर्मित रथ का संचालन आकर्षण और कौतूहल का विषय होता है।

 
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