भूमिका मंदिर का धार्मिक महत्व बहुत गहरा है और यह माँ वैष्णो देवी की यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है। यह मंदिर कटड़ा से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और यहां माता वैष्णो देवी के परम भक्त श्रीधर का घर था। श्रीधर की आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब थी, लेकिन उनकी आस्था और श्रद्धा के कारण उनका परिवार अत्यधिक सुखी था।
पौराणिक कथा के अनुसार, एक दिन माँ वैष्णो देवी ने श्रीधर को एक दिव्य कन्या के रूप में दर्शन दिए और उन्हें आदेश दिया कि वे एक भंडारे का आयोजन करें, जिसमें सभी विद्वानों और ब्राह्मणों को आमंत्रित करें। श्रीधर ने माँ के आदेश को माना और भंडारे की तैयारी में जुट गए। हालांकि, वह चिंतित थे कि वह इस भंडारे के लिए भोजन की व्यवस्था कैसे करेंगे। लेकिन जब वह सुबह उठे, तो उन्होंने देखा कि भंडारे की सभी व्यवस्था पहले से ही हो चुकी थी। भंडारा शुरू हुआ और श्रीधर ब्राह्मणों को भोजन परोसने में व्यस्त हो गए।
कहा जाता है कि भैरोनाथ भी अपने शिष्यों के साथ भंडारे में आया और उसने माँ वैष्णो देवी से मांस और मदिरा की मांग की। माँ ने जब इस मांग को ठुकराया, तो भैरोनाथ ने अभद्र व्यवहार किया, जिसके कारण माँ वैष्णो देवी वहां से अंतर्ध्यान हो गईं और त्रिकुटा पर्वत की ओर प्रस्थान कर गईं। इस घटना के बाद से, माना जाता है कि जो भी श्रद्धालु माँ के दर्शन करने के बाद इस मंदिर में आकर कन्या पूजन करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
यह मंदिर प्राचीन समय से एक विशेष धार्मिक स्थल रहा है, और आज भी श्रद्धालु माँ वैष्णो देवी के दर्शन करने के बाद इस मंदिर में आकर कन्या पूजन करते हैं। इसके बाद ही वे अपनी यात्रा को पूर्ण मानते हैं।
