चाणक्य नीति:- संगति कुलीनों की करें Date : 13-Mar-2024 एतदर्थ कुलीनानां नृपा: कुर्वन्ति संग्रहम | आदिमध्यावसानेषु न त्यजन्ति च ते नृपम || आचार्य चाणक्य यहां कुलीनता का वैशिष्टय को बताये हुए कहते हैं कि कुलीन लोग आरंभ से अंत तक साथ नहीं छोड़ते | वे वास्तव में संगती का धर्म निभाते हैं | इसलिए राजा लोग कुलीनों का संग्रह करते हैं ताकि समय-समय पर सत्यपरामर्श मिल सके | अभिप्राय यह है कि अच्छे खानदानी व्यक्ति जिसके साथ मित्रता करते हैं, उसे जीवन भर निभाते हैं | वे शुरू से अंत तक सुख और दुःख दोनों दशाओं में कभी साथ नहीं छोड़ते | इसीलिए राजा लोग ऐसे कुलीनों को अपने पास रखते हैं | इसलिए राजा लोग और राजपुरुष महत्वपूर्ण एवं विशिष्ट राजकीय सेवाओं में कुलीन पुरुषों की नियुक्ति उनके उच्च सस्कारों और परंपरागत शिक्षा-दीक्षा के कारण ही करते हैं | वे कभी नीच अथवा ओछे हथकण्डे अपनाकर अपने स्वामी के साथ छल या धोखा नहीं करते |