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जो व्यक्ति दूसरों के काम न आए वास्तव में वह मनुष्य नहीं है - ईश्वर चंद्र विद्यासागर

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चाणक्य नीति :- परिश्रम से ही फल मिलता है

Date : 10-Apr-2024


 
यहां आचार्य चाणक्य आचरण की चर्चा करते हुए कहते हैं कि उद्यम से दरिद्रता तथा जाप से पाप दूर होता है | मौन रहने से कलह और जागते रहने से भय नहीं होता |
 
आशय है कि परिश्रम- उद्यम करने से गरीबी नष्ट होती है | अत: व्यक्ति को श्रम करना चाहिए ताकि जीवन सम्पन्न हो सके | भगवान् का नाम जपने से पाप दूर होते हैं, मन और आत्मा की शुद्धि होती है शुद्ध कर्म की प्रेरणा मिलती है, व्यक्ति दुष्कर्म से दूर होता है | चुप रहने से झगड़ा नहीं बढ़ता और अप्रिय स्थितियाँ टल जाती हैं तथा जागते रहने से किसी चीज का डर नहीं रहता क्योंकि सजगता  से व्यक्ति चीजों को खतरे से पूर्व ही संभाल सकता है |
 
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