चाणक्य नीति:- जिनका उपयोग नहीं उनका होना क्या Date : 31-Jul-2024 कि तया क्रियते धेन्वा या न दोग्ध्रो न गर्भिणी | कोर्थ: पुत्रेण जातेन यो न विद्वान्न भक्तिमान || यहां आचार्य चाणक्य इस श्लोक में वस्तु कि उपयोगिता कि चर्चा करते हुए कहते हैं कि उस गाय से क्या करना, जो न दूध देती है और न गाभिन होती है | इसी तरह उस पुत्र के जन्म लेने से क्या लाभ, जो न विद्वान, हो और न ईश्वर का भक्त हो | आशय यह है कि जो गाय न तो दूध देती है और न गाभिन होती है, ऐसे गाय का होना या न होना बराबर ही है | ऐसी गाय को पालना बेकार ही होता है | इसी तरह जो पुत्र न तो विद्वान हो और न भक्त हो, उस पुत्र का होना या न होना बराबर है |