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जो व्यक्ति दूसरों के काम न आए वास्तव में वह मनुष्य नहीं है - ईश्वर चंद्र विद्यासागर

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प्रेरक प्रसंग:- तीन बहुमूल्य उपदेश

Date : 10-Sep-2024

प्रजापति के तीन पुत्र थेदेव, मनुष्य और असुर | ब्रम्हाचर्यपूर्वक निवास कर शिष्य-भाव से देव प्रजापति से बोले, “भगवन्, हमें उपदेश दीजिये |” प्रजापति ने केवलकहा और चुप हो गए | फिर पूछा, “तुम क्या समझे?” देव ने थोड़ी देर आत्मनिरीक्षण किया और बोले, “समझ गए, भगवन् आपने कहा- ‘दाम्यतअर्थात् इन्द्रियों का दमन करना |

मनुष्य ने भी कहा, “भगवन् , हमें भी उपदेश दें |” प्रजापति बोले, ‘’ | मनुष्य आत्मनिरीक्षण कर इस परिणाम पर पहुंचा कि प्रजापति का तात्पर्यदत्त’ – दान करने से है | अब असुरों कि बारी आयी | उन्हें भी प्रजापति नेही कहा | उन्होंने भी विचार किया और समझ लिया  किसे तात्पर्यदयध्व्मअर्थात् दया करने से है |

प्रजापति बोले, “ठीक है ! तुम तीनों ने मेरा अभिप्राय ठीक समझा | आत्मनिरीक्षण कर तुममें से जिसमें जिस गुण कि कमी थी, वही गुण उसने ग्रहण कर लिया | मेरे द्वारा दिएसंकेत का तुम लोगों ने जो उपदेश ग्रहण किया है, वैसा ही तुम चाहो तो प्रकृति से भी सन्देश ले सकते हो | उदाहरण के तौर पर यह विद्युत् गरजती है – ‘, , ’ ; इससे भी तुम दमन, दान और दया कि प्रेरणा ले सकते हो |”

 
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