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कमजोर आदमी हर काम को असम्भव समझता है जबकि वीर साधारण - मदन मोहन मालवीय

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विश्व की सभी विचार धाराओं के मूल में हैं,भारतीय संस्कृति के चिंतन- स्वर

Date : 11-Oct-2024

भाग-1

वर्तमान समय में देश व विश्व में जो घटनाक्रम चल रहा है, उसे दो शब्दों में व्यक्त किया जा सकता है- शुभ या अशुभ/ अनुचित। मोटे रूप में व्यक्ति,देश व विश्व की समस्याओं के अनेक कारण हो सकते हैं किंतु पश्चिमी विद्वान ' एरिक फ्रॉम ' के ग्रंथ - " मैन फार हिम्सेल्फ " के अनुसार समस्याओं का मूल कारण विचारों की टकराहट है। इस टकराहट के कारण इंसानी जिंदगी चिथड़े होने को मजबूर है। इसी वजह से मानव जाति पर अर्द्ध -विक्षिप्तता का दुर्भाग्य टूट पड़ा है। सबकी अपनी मत-मान्यताएं, आग्रह, विचार, भावनाएं , भोडे प्रदर्शन, संनके हैं । "अपनी डफली -अपना राग " का भोंडे प्रदर्शन करने वालों के लिए एकमात्र समाधान है- सामंजस्य का शिक्षण। 

पुराने समय में बुद्धिवाद का बोलबाला नहीं था। लोग भाव प्रवण थे। पहले हर पांव एकता की ओर उठता था। हर किसी को एक दूसरे से सामन्जस्य बिठाने की धुन थी। आज उसकी गति अलगाव -विखराव की ओर है। पाल ओपेन हाइमर के ग्रंथ- " द बर्थ आफ माडर्न माईंड " के अनुसार सोचें तो " बिखराव कितना भी व्यापक और समर्थ क्यों ना हो ,उसे किसी न किसी एकता से ही उपजना पड़ता है। इतना भर नहीं उसके चरमोत्कर्ष का अंतिम परिणाम भी एकता में विलय है।"
यह सत्य है कि संसार में विभिन्न नृवंशो के लोग हैं, जो आपस में एक दूसरे से नहीं मिलते हैं। जिनके पंथ/ धर्म अलग-अलग हैं। जिनकी आदतों और आचारों में कोई समानता नहीं है । लेकिन दुनिया के मतों , विचारों का गहराई से किया गया सर्वेक्षण उससे बड़े सच को प्रकट करता है। ये सभी मिलकर किसी एक के प्रति अपना सिर सम्मान से झुका रहे हैं। कोई एक जगह ऐसी भी है, जहां सभी विचार अपने सारे विरोध छोड़कर एक होने के लिए ललायित हैं। 
 सैयद महमूद ने इस एक स्थान की खोज में मोहम्मद पैगंबर के शब्दों का उल्लेख " हिंदू मुस्लिम कल्चरल एकॉर्ड " में किया है। पैगंबर के शब्द हैं " मैं हिंद की तरफ से आती हुई ठंडी हवाओं को महसूस करता हूं। " यह शीतलता विचारों के सामंजस की है, इसका स्पर्श मानव मन की समस्त स्नायुविक  उत्तेजनाओं को शांत करता है। चौथे खलीफा का कहना था कि- "भारत में सबसे पहले किताबे लिखी गई और बुद्धि ज्ञान का प्रसार भी यहीं से हुआ।" 
इस देवभूमि में उपजे विचार सभी को इतने अपने और लुभावने लगे की किसी को इन्हें अपनाने में कभी संकोच नहीं करना पड़ा। इसी प्रकार भारत के सांस्कृतिक चिंतन और इस्लामी दर्शन के अनेकों सिद्धांतों में केवल नाम का ही अंतर है। ब्राउन मैक्स हार्टिल और गोल्ड जीहर आदि अनेकों पश्चात विद्वानों ने अपने गहरे अध्ययन के बाद विश्वास जताया है। इस्लाम विचारधारा के प्रमुख तत्व भारतवर्ष के लिए गए हैं (हिस्ट्री आफ फिलासफी ईस्टर्न एंड वेस्टर्न खंड- 1/5/502 ) अरब युग में बहुत- से प्रमुख भारतीय ग्रन्थो का फारसी और अरबी में अनुवाद हुआ। अल्किंडी ने भारतीय धर्म पर एक पुस्तक लिखी, सुलेमान और अलमसूदी ने भारत के विषय में सूचनाएँ इकट्ठी कर लिपिबद्ध किया तथा अलनदीय ,अलशरी, अलबरूनी एवं अन्य लोगों ने अपनी यात्रा विवरणों में भारत की दार्शनिक विचारों का विस्तार से वर्णन किया है। साहित्य ,विज्ञान और दार्शनिक चिंतन इन तीनों ही क्षेत्र में इस्लामी जगत भारतीय जीवन और विचारधारा से प्रभावित हुआ है। मुंडकोपनिषद में इस तथ्य का रहस्य उद्घाटन करते हुए सत्य ही लिखा है- 
बात किसी एक मत या पंथ की नहीं है। जिसने भी यहां की वैचारिक संवेदना का स्पर्श पाया- वही इससे एक होता गया  सर चार्ल्स इलियट के ग्रंथ "हिंदुइज्म एंड बुद्धिस्म " के पन्ने पलटे तो पता चलता है भारत के रहस्यवादी विचार सूफी मत के माध्यम से यहूदी रहस्यवाद में पहुंच गए जो 'कब्बाला' कहलाते हैं। यह कब्बाला मिश्र और पश्चिम एशिया में विकसित होकर यूरोप में भी जा पहुंचा। कब्बाला के बहुत से लक्षण जैसे देवताओं की दशाएं और निर्गमन, पिंड और ब्रह्मांड के संबंध सिद्धांत आश्चर्यजनक रीति से -भारतीय तंत्र दर्शन से प्रभावित हैं। इस प्रभाव का निश्चित पता तो पुनर्जन्म और सर्वेश्वरवादी सिद्धांतों से चलता है। सर्वोच्च देवत्व अथवा ईश्वर "एन -साफ" कहलाता है -  जिसका अर्थ अनंत, अज्ञेय और वर्णनातीत है। इसके बारे में जो कुछ कहा गया है वह इलियट के शब्दों में उपनिषदों के सार वाक्य हैं।क्रमशः .......
 
 
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