एनसीईआरटी किताबों में अकबर अब भी महान, हेमू अफगान सेनापति, दीन-ए-इलाही प्रेम, शांति, सम्मान और सहिष्णुता का धर्म!
Date : 07-Jan-2025
देश, इस वक्त रानी दुर्गावती की 500वीं जयन्ती मना रहा है, जिसने अपने आप को वीरता के साथ मिटाना पसंद किया लेकिन अकबर के हरम में शामिल होना नहीं, जैसे कि एतिहासिक साक्ष्य हैं कि कैसे एक विधवा रानी दुर्गावती के गोंडवाना राज्य को अकबर हड़प लेना चाहता था बल्कि वह उसकी सुंदरता के किस्से सुनने के बाद उसे अपने हरम में शामिल करना चाहता था, जिसमें कि अकबर ने कई हिन्दू बेटी, बहुओं और पत्नियों तक को जबरन रखा हुआ था। वैसे अकबर पर सिर्फ यही आरोप नहीं है, इतिहास में उसके कई काले कारनामें दर्ज हैं, जिसमें मीना बाजार से लेकर, गाजी की उपाधी लेने के लिए हिन्दुओं के सर कलम करके उनकी मीनार बना लेने और उन तमाम लोगों का सामुहिक नरसंहार कर देने के किस्से हैं, जो गैर मुस्लिम थे, लेकिन 21वीं सदी के भारत में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की पुस्तकें अभी भी उसे महानता के शिखर पर बैठा रही हैं।
अकबर ने अक्टूबर 1567 में चित्तौड़ की घेराबंदी की थी और इसे काफिरों (हिन्दुओं) के खिलाफ जिहाद घोषित करके संघर्ष को एक मजहबी रंग दिया था । मुगलों की भारी भरकम सेना को चार महीने से ज़्यादा समय तक यहां युद्धरत रहना पड़ा, जब किले पर कब्ज़ा कर लिया गया गया तो उसने इस चित्तौड़ की विजय को काफ़िरों पर इस्लाम की जीत के रूप में घोषित किया था । अकबर यहीं नहीं रुका, उसने किले पर कब्ज़ा करने के बाद चित्तौड़ की जनता का नरसंहार करने का आदेश दिया, तब 30,000 आम हिंदू नागरिकों का कत्लेआम किया गया था । वहीं बड़ी संख्या में महिलाओं और बच्चों को गुलाम बनाया गया। उसने अपने पिता बाबर से ऊंची हिन्दू नरमुंडों की मीनार बनाई। तब उसने जो यहां बोला, वह भी देखें, उसने कहा- “ हमने अपना बहुमूल्य समय अपनी शक्ति से, सर्वोत्तम ढंग से जिहाद, (घिज़ा) युद्ध में ही लगा दिया है और अमर अल्लाह के सहयोग से, जो हमारे सदैव बढ़ते जाने वाले साम्राज्य का सहायक है, अविश्वासियों के अधीन बस्तियों निवासियों, दुर्गों, शहरों को विजय कर अपने अधीनकरने में लिप्त हैं, कृपालु अल्लाह उन्हें त्याग दे और तलवार के प्रयोग द्वारा इस्लाम के स्तर को सर्वत्र बढ़ाते हुए, और बहुत्ववाद के अन्धकार और हिंसक पापों को समाप्त करते हुए, उन सभी का विनाश कर दे। हमने पूजा स्थलों को उन स्थानों में मूर्तियों को और भारत के अन्य भागों को विध्वंस कर दिया है,, अल्लाह की ख्याति बढ़े जिसने, हमें इस उद्देश्य के लिए, मार्ग दिखाया और यदि अल्लाह ने मार्ग न दिखाया होता तो हमें इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए मार्ग ही न मिला होता!”
अकबर ने यह प्रथा भी चलाई थी कि उसके पराजित शत्रु और जिसे वह चाहता है, उसका परिवार उसकी चुनी हुई महिलाओं को उसके हरम में भेजे। इस संबंध में उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने अकबर के महान होने का नकाब उतार फेका है, वे लिखते है- ‘‘जो सबसे बड़ा अय्याश था। जिसका ‘हरम’ सबसे बड़ा था, जो सबसे बड़ा हरामी और हबसी था, 5000 बेटियों को गुलाम बनाया था, जिसके कारण बाल विवाह शुरू हुआ, जिसके कारण रात्रि विवाह शुरू हुआ, जिसके कारण घूँघट कुप्रथा शुरू हुई, उसे महान शासक बताया जा रहा है,सत्ता हमारी है लेकिन सिस्टम उनका है’’अश्विनी इतना कहकर ही नहीं रुकते । वे कहते हैं कि हराम का लेनेवाला हरामखौर और हरम चलानेवाला हरामी कहलाता है, वास्तव में अकबर एक हरामी व्यक्ति था।
दूसरी ओर एक प्रतिक्रिया विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने दी है। उन्होंने कहा, ‘‘ये हमारे देश का दुर्भाग्य है कि छोटे मासूम बच्चों के दिमाग में मुगलिया सल्तनत के बारे में प्रशंसा भरी जा रही है। जबकि ये विदेशी आक्रांताओं का इतिहास है। जिन्होंने भारतीय बहुसंख्यक समाज पर सिर्फ अत्याचार ही किए हैं। बाबर चला गया, हुंमायू, अकबर, शाहजहां, औरंगजेब ये सब चले गए, लेकिन उनका गुणगान करनेवाले हिन्दू विरोधी इतिहासकार अब भी सच सामने नहीं लाना चाहते। समय आ गया है इस तरह की सभी विकृतियों को अविलंब ठीक किया जाए।’’ उन्होंने कहा कि ‘‘एनसीईआरटी को यह समझना होगा कि अबोध बच्चों के मन में जो बचपन में डाल दिया जाता है, उसे ही वे आगे सच मान लेते हैं। उसी के अनुसार उनके संपूर्ण जीवन भर की मानसिकता बनती है। कौन नहीं जानता अकबर के कुकर्मों को? इसलिए बाल पाठ्यक्रम में तत्काल सुधार करने की जरूरत है। सम्राट हेमू, रानी दुर्गावती जिन्हें अकबर ने धोखे से मारा, यदि अकबर महान था फिर राणा प्रताप कौन हैं? हेमू और रानी दुर्गावती के लिए क्या कहा जाएगा? वास्तव में देश के इन कलंकों को देश निकाला दे देना चाहिए । अकबर महान नहीं, वह दुष्ट और अत्याचारी है, अच्छा यही होगा कि बच्चों को उसके बारे में यदि बताना ही जरूरी है तो सच बताया जाए जो वह था।’’