गुरु हर राय साहिब सिख धर्म के सातवें गुरु थे, जिन्होंने समाज में शांति, सेवा और सहिष्णुता का संदेश फैलाया। वे गुरु हरगोबिंद साहिब के पोते और गुरु हर किशन साहिब के पिता थे। उनका जन्म 1630 में हुआ और उन्होंने 1644 से 1661 तक सिख गुरु के रूप में सेवा की। 31 वर्ष की आयु में कीरतपुर साहिब में उनका निधन हो गया।
गुरु हर राय साहिब ने अपने दादा गुरु हरगोबिंद साहिब द्वारा स्थापित सिख सेना की परंपरा को बनाए रखा। उन्होंने एक मजबूत सेना का संचालन किया, फिर भी सैन्य संघर्ष से बचने की नीति अपनाई। उनका यह दृष्टिकोण आत्मरक्षा और समाज की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण था।
गुरु हर राय साहिब ने मुगल साम्राज्य के उत्तराधिकार युद्ध में उदारवादी सूफी विचारधारा से प्रभावित दारा शिकोह का समर्थन किया, जबकि उनके विरोधी औरंगजेब रूढ़िवादी सुन्नी विचारधारा का समर्थक था। उनकी यह नीति धार्मिक सहिष्णुता और न्याय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
गुरु हर राय साहिब ने एक औषधीय बग़ीचा (हर्बल गार्डन) स्थापित किया, जहाँ से जड़ी-बूटियों के माध्यम से लोगों का इलाज किया जाता था।
- उन्होंने जरूरतमंदों को निःशुल्क औषधियाँ और उपचार उपलब्ध करवाया।
- यह बग़ीचा आगे चलकर स्वास्थ्य सेवा के एक मॉडल के रूप में विकसित हुआ।
- जब औरंगजेब के बेटे को गंभीर बीमारी हुई, तो गुरु साहिब ने बिना किसी भेदभाव के उसे दवा भेजी, जिससे उनकी करुणा और सेवा-भावना प्रकट होती है।
गुरु हर राय साहिब ने सिख धर्म के सिद्धांतों के प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अहिंसा, शांति और सामाजिक समानता का संदेश दिया। जातिवाद और भेदभाव का विरोध किया और सभी धर्मों के लोगों को सम्मान दिया। अपने अनुयायियों को सिख धर्म की मूल शिक्षाओं का पालन करने के लिए प्रेरित किया। और किसी भी प्रकार के परिवर्तन पर सख्त प्रतिबंध लगाया, जिससे धर्म की शुद्धता बनी रही।
गुरु हर राय साहिब को "शांति के गुरु" भी कहा जाता है। उन्होंने अपने अनुयायियों को प्रेम, करुणा और भाईचारे का संदेश दिया साथ ही अहिंसा और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व में विश्वास रखने को कहा | उन्होंने सिखों को सिखाया कि सच्चा बल सेवा और संयम में होता है, न कि हिंसा में। समाज में एकता और सद्भावना को मजबूत करने में भी योग दान किया ।
- गुरुद्वारा गुरु हर राय साहिब – कपूरथला (पंजाब): उनके जन्मस्थान पर स्थित यह गुरुद्वारा श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख धार्मिक स्थल है।
- गुरुद्वारा गुरु हर राय साहिब – सिरसा (हरियाणा): यह स्थल उनके जीवन और समाज सेवा से जुड़ा एक महत्वपूर्ण स्थान है।
- गुरुद्वारा गुरु हर राय – दिल्ली: यहाँ पर उनके योगदान को याद किया जाता है और श्रद्धालु उनके उपदेशों का अनुसरण करते हैं।
- गुरुद्वारा गुरु हर राय – अमृतसर (पंजाब): स्वर्ण मंदिर के पास स्थित यह गुरुद्वारा गुरु साहिब की शिक्षाओं को संजोए हुए है।
गुरु हर राय साहिब का समाज के प्रति योगदान धर्म, सेवा, स्वास्थ्य, पर्यावरण और शिक्षा के क्षेत्रों में अमूल्य है। उनका जीवन हमें शांति, करुणा और निःस्वार्थ सेवा की प्रेरणा देता है। यदि आज हम उनके उपदेशों का पालन करें, तो समाज में समानता, प्रेम और भाईचारे की भावना को बढ़ावा दिया जा सकता है।