आचार्य नरेन्द्र देव का जन्म 31 अक्टूबर 1889 को सीतापुर, उत्तर प्रदेश में हुआ। उनके पिता बलदेव प्रसाद अपने समय के विख्यात वकीलों में से एक थे। बचपन में ही नरेन्द्र देव ने घर पर रामचरितमानस, भगवद्गीता और महाभारत जैसी ग्रंथों का अध्ययन किया। उन्होंने प्रयाग विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम.ए. की डिग्री प्राप्त की और वकालत की परीक्षा उत्तीर्ण कर फैजाबाद में वकालत करने लगे।
नरेन्द्र देव कई भाषाओं के ज्ञाता थे—हिंदी, संस्कृत, उर्दू, अंग्रेजी, पाली, प्राकृत और बंगला। इतिहास, राजनीति, समाजशास्त्र और साहित्य के विभिन्न क्षेत्रों में उन्होंने लेखन किया, लेकिन उनका लेखन विशेष रूप से साहित्यिक तत्वों से परिपूर्ण था। वे हिंदी भाषा और साहित्य को राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित करना चाहते थे। वर्ष 1913 में ‘मधुदा’ में उन्होंने ‘मार्ग हिंदी के प्रति कर्तव्य’ शीर्षक से एक लेख लिखा, जिसमें उन्होंने हिंदी साहित्य को देशवासी भाषाओं के समान समृद्ध बनाने का आह्वान किया।
स्वतंत्रता आंदोलन के आरंभ में उन्होंने वकालत छोड़ दी और असहयोग आंदोलन में भाग लिया। अपने प्रखर व्यक्तित्व और प्रतिभा के कारण नरेन्द्र देव उच्चकोटि के शिक्षक और प्रख्यात आचार्य बन गए। वर्ष 1921 में वे काशी विश्वविद्यालय में अध्यापक और बाद में आचार्य तथा कुलपति बने। उनके अनुशासन और बौद्धिक तीक्ष्णता के कारण उनके सहयोगियों ने उन्हें ‘आचार्य’ संबोधित करना आरंभ किया।
नरेन्द्र देव ने 1930 के नमक सत्याग्रह, 1932 के आंदोलनों और 1941 के व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलनों में भी सक्रिय भाग लिया और जेल की यातनाएँ सहन कीं। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान वे विभिन्न क्रांतिकारी दलों और नेताओं के साथ निकट संपर्क में रहे। उन्होंने विदेशों से साहित्य और समाचार लाकर अपने साथियों तक पहुँचाया।
स्वामी रामतीर्थ, विवेकानंद, मदनमोहन मालवीय, गालिब, गांधी और नेहरू जैसे महापुरुषों का प्रभाव उनके व्यक्तित्व पर पड़ा, लेकिन उनकी सोच स्वतंत्र और विशिष्ट थी। वे किसी भी प्रचलित विचारधारा का अनुकरण नहीं करते थे और भारतीय परिस्थितियों के अनुरूप समस्याओं का समाधान खोजने का प्रयास करते थे।
वर्ष 1934 में उन्होंने जयप्रकाश नारायण, राममनोहर लोहिया और अन्य नेताओं के साथ कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना की। इसके साथ ही वे जनवार्ता, सिंहस्थ, जनता, समाज आदि पत्रिकाओं के संपादन और प्रकाशन से भी जुड़े रहे।
उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं:
राष्ट्रियत और समाजवाद
समाजवाद – लक्ष्य तथा साधन
सोशलिस्ट पार्टी और मार्क्सवाद
भारत के राष्ट्रीय आंदोलन का इतिहास
युद्ध और भारत
किसानों का सवाल
आचार्य नरेन्द्र देव का निधन 19 फरवरी 1956 को हुआ। उनका जीवन भारतीय समाज और राजनीति के लिए प्रेरणास्रोत बना रहा।
