भारत सरकार हर साल देश के लोगों को टीकाकरण का महत्व बताने के लिए राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस मनाती है. साल 1995 में पहली बार टीकाकरण दिवस हमारे देश में मनाया गया था. दरअसल इसी साल 16 मार्च के दिन भारत सरकार ने देश में ‘पल्स पोलियों अभियान’ की शुरुआत की थी. सरकार ने इस योजना के जरिए देश से पोलियो को खत्म करने का लक्ष्य रखा था. और जब से हर साल पूरे देश में राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस इस दिन मनाया जाने लगा. हर साल इस दिन छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं को टीके लगाए जाते हैं और लोगों को टीकाकरण के फायदों के बारे में बताया जाता है.
वैक्सीनेशन यानी टीकाकरण के जरिए छोटे बच्चों को डॉक्टरों द्वारा टीका लगाया जाता है और इसी टीका लगाने की प्रक्रिया को वैक्सीनेशन कहा जाता है. टीकाकरण की मदद से बच्चों को खतरनाक रोगों से सुरक्षित रखा जाता है. जब भी कोई नवजात शिशु पैदा होता है तो उसे कई तरह के टीके लगाए जाते हैं. ताकि उसको कोई घातक बीमारी ना हो सके.
राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस की शुरुवात कैसे हुई
16 मार्च 1995 को पुरे भारत में प्लस पोलियो अभियान चलाया गया जिसमे 5 साल से काम उम्र के बच्चों को पोलियो की खुराक मुफ्त में पिलाई गयी, पोलियो नमक बीमारी को जड़ से ख़तम करने के लिए भारत सरकार द्वारा यह महत्वपूर्ण कदम उठाया गया इसके बाद से यह हर साल 16 मार्च को अभियान चलाया जा रहा हैं | इस अभियान के तहत, 5 साल से कम आयु के सभी बच्चों को पोलियो वैक्सीन की 2 बूंद दी गई थीं। जिसके बाद से पोलियो के मामले तेजी से कम होने शुरू हुए और अंत में पूरी तरह से खत्म हो गए। साल 2014 में, भारत को पोलियो मुक्त देश घोषित कर दिया गया।
टीका या टीकाकरण किसे कहा जाता है?
किसी बीमारी के विरुद्ध प्रतिरोधात्मक क्षमता विकसित करने के लिये जो दवा खिलायी/पिलायी या किसी अन्य रूप में दी जाती है उसे टीका कहते हैं तथा यह क्रिया टीकाकरण कहलाती है। संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिये टीकाकरण सर्वाधिक प्रभावी एवं सबसे सस्ती विधि माना जाता है।
टीके, एन्टिजनी पदार्थ होते हैं। टीके के रूप में दी जाने वाली दवा या तो रोगकारक जीवाणु या विषाणु की जीवित किन्तु क्षीण मात्रा होती है या फिर इनको मारकर या अप्रभावी करके या फिर कोई शुद्ध किया गया पदार्थ, जैसे - प्रोटीन आदि हो सकता है। सनसे पहले चेचक का टीका आजमाया गया जो कि भारत या चीन 200 इसा पूर्व हुआ।
भारत देश में राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत 15 वर्ष तक की आयु के बच्चों तथा तथा गर्भवती महिलाओं को घातक रोगों की विरूद्ध टीके दिए जाते हैं। ये रोग हैं:
तपेदिक (टी.बी) डिप्थीरिया, परटूसिस (काली खाँसी), टिटनेस, खसरा (मीजल्स) तथा पोलियो (पोलियोमाइटिस) अगर किसी बच्चे को सही समय पर इन सभी रोगों से रक्षा करने वाली वैक्सीन्स की पर्याप्त खुराकें देकर रोग प्रतिरक्षित कर दिया जाता है तो भविष्य में वह इन घातक/अपंग करने वाली बीमारियों से काफी हद तक बचा रहेगा बाद में ऐसे बच्चे को टिटनेस टॉक्साइड वैक्सीन के अतिरिक्त अन्य वैक्सीन्स की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
अस्पतालों में किए जाते हैं विशेष इंतजाम-
इस दिन सरकारी अस्पतालों में टीकाकरण से जुड़े कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और इन कार्यक्रमों के जरिए लोगों को टीकाकरण की विशेषताएं बताई जाती हैं. इतना ही नहीं कई अस्पतालों में तो छोटे बच्चों को पोलियो की दवाई और अन्य तरह की वैक्सीन दी जाती है.
स्कूलों में होनेवाले विशेष कार्यक्रम-
राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस के दिन सरकारी स्कूलों में छोटे बच्चों को जिनकी उम्र 5 साल तक की होती हैं. उन्हें पोलियो की दवाई दी जाती है. इसके अलावा बीमारियों से कैसे बचें इसके बारे में भी बच्चों को जानकारी दी जाती है.
भारत में कई ऐसे गांव हैं जहां पर लोगों को वैक्सीनेशन के प्रति जागरूकता नहीं हैं. ऐसे में इस दिन राज्य सरकारें अपने राज्य के गांवों में डॉक्टरों की टीमें भेजती हैं. ताकि वो लोगों को टीकाकरण के प्रति जागरूक कर सकें. इसके अलावा गांवों के बच्चों को पोलियो की दवाई भी दी जाती है.