मलेरिया, एक ऐसी बीमारी है जो आमतौर पर सुनने में आती है, लेकिन अगर समय पर इलाज नहीं किया जाए, तो यह जानलेवा भी साबित हो सकती है। हर साल 25 अप्रैल को 'वर्ल्ड मलेरिया डे' मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य लोगों को इस बीमारी के बारे में जागरूक करना और यह याद दिलाना है कि हम मलेरिया को केवल दवाओं से नहीं, बल्कि जागरूकता और सतर्कता से भी हरा सकते हैं।
गर्मी के मौसम में मच्छरों का आतंक बढ़ जाता है, जिससे मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। मलेरिया का समय पर इलाज न करने से स्थिति गंभीर हो सकती है और मरीज की जान भी जा सकती है। आज हम मलेरिया के प्रकारों और उनके लक्षणों के बारे में जानकारी देंगे, ताकि लोग समय रहते सतर्क हो सकें और इलाज करवा सकें।
मलेरिया के प्रकार और उनके लक्षण
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प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम (Plasmodium falciparum):
यह मलेरिया का सबसे घातक प्रकार है और इसकी वजह से सबसे अधिक मौतें होती हैं। यह मुख्य रूप से अफ्रीका और दक्षिण एशिया में पाया जाता है।
लक्षण:-
तेज बुखार
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ठंड लगना और पसीना आना
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उल्टी और दस्त
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दिमागी भ्रम या दौरे
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किडनी और लिवर फेलियर
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प्लाज्मोडियम विवैक्स (Plasmodium vivax):
यह मलेरिया का एक आम प्रकार है जो अधिकतर दक्षिण एशिया और लैटिन अमेरिका में पाया जाता है।
लक्षण:-
मध्यम से तेज बुखार जो हर 2 दिन में आता है
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ठंड लगना
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कमजोरी और थकावट
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सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द
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भूख न लगना
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हाथ-पैर में दर्द
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प्लाज्मोडियम मलेरिया (Plasmodium malariae):
यह मलेरिया का एक दुर्लभ प्रकार है, लेकिन इसका संक्रमण लंबे समय तक रह सकता है। यह मुख्य रूप से मध्य और दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका में पाया जाता है।
लक्षण:-
हल्का बुखार
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शरीर में कमजोरी
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कुछ मामलों में दिमागी भ्रम
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मलेरिया के लक्षणों का समय रहते इलाज किया जा सकता है, लेकिन यदि इसे अनदेखा किया गया तो यह गंभीर हो सकता है। मलेरिया से बचाव के लिए हमें जागरूक रहना और मच्छरों से बचाव के उपायों को अपनाना जरूरी है। इस वर्ल्ड मलेरिया डे पर, यह समय है जब हमें मलेरिया के बारे में जागरूकता फैलाने और सतर्कता बढ़ाने की आवश्यकता है, ताकि हम इस बीमारी से खुद को और अपने आसपास के लोगों को बचा सकें।