जो स्वभाव से सिद्ध नहीं है उससे ज्यादा लगाव रखने की आवश्यकता नहीं: दलाई लामा | The Voice TV

Quote :

बड़ा बनना है तो दूसरों को उठाना सीखो, गिराना नहीं - अज्ञात

International

जो स्वभाव से सिद्ध नहीं है उससे ज्यादा लगाव रखने की आवश्यकता नहीं: दलाई लामा

Date : 26-Nov-2022

 धर्मशाला, 25 नवम्बर (हि.स.)। तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा ने कहा कि भवचक्र स्वभाव से सिद्ध नहीं है, जिसे भी हम देख रहे हैं जिस चीज को ग्रहण करते हैं एक प्रकार से हम उसमें खो जाते हैं। जो स्वभाव से सिद्ध नहीं है उससे ज्यादा लगाव रखने की आवश्यकता नहीं है। सभी लोग अच्छे व्यक्ति बनें और लोगों का हित करें। लोगों के प्रति करुणा रखें। इसके लिए शून्यता व बौद्धचित का अभ्यास करना चाहिए। 

धर्मगुरू दलाईलामा ने शुक्रवार को कोरियन समुदाय के अनुयायियों के आग्रह पर मैकलोड़गंज के मुख्य बौद्ध मठ चुगलाखंग में अपने प्रवचन में यह बातें कहीं। दो दिवसीय टीचिंग ‘द फंडामेंटल विस्डम आफ मिडल अप्रोच’ विषय पर दी जा रही है। टीचिंग के लिए कोरिया सहित विदेशी व स्थानीय तिब्बती समुदाय के लोग भी मैक्लोडंगज में मौजदू रहे।

धर्मगुरू ने कहा कि बौद्ध धर्म के दर्शन में कहा जाता है जो हमें दिखाई देते हैं व स्वभाव से सिद्ध नहीं है। जिन चीजों को हम सत्य मान बैठते हैं तो उसमें कोई चीज हमें अच्छी लगती है तो आशक्ति उत्पन्न होती है जो अच्छी नहीं लगती तो क्रोध उत्पन्न होता है। एक तरह से इन सभी चीजों में हम जकड़ जाते हैं। भवचक्र स्वभाव से सिद्ध नहीं हैं। वस्तुएं स्वभाव से सिद्ध है तो इसको समझना चाहिए। ग्रंथ व धर्मों में जो कहा गया है वह स्वभाव से सिद्ध नहीं है। शून्यता के बारे में जो व्याख्या की गई है और जो जीवधारी अज्ञानता में जी रहे हैं, कलेश में जी रहे हैं, उन्हें अज्ञानता से निकालने के लिए सत्यग्रहता के साथ निकालना चाहिए।

दलाई लााम ने कहा कि दुनिया में सभी लोग सुख चाहते हैं। इसके लिए करुणा जरूरी है। करुणा बुद्धचित व शून्य का अध्ययन करेंगे तो इस बात को समझ सकेंगे तो दुख से निकल सकते हैं। बाहरी चीजों को नहीं देखता है अपने चित को समझना है कि हमारे भीतर के कलेश स्वभाव से सिद्ध नहीं है। इसके लिए करुणा बहुत जरूरी है। सभी धर्म परंपराए हमें संदेश देती हैं कि दूसरों का हित करना चाहिए। बौद्ध धर्म में बताया गया है कि हमारे भीतर मन में क्लेश होने के कारण हम दूसरों की मदद नहीं कर पाते। क्लेश की उत्पत्ति वस्तुओं को देखने से होती है, लेकिन यह स्वभाव से सिद्ध नहीं होती है। इसे सिर्फ महसूस कर पाते हैं। बौद्ध चित का अभ्यास व शून्यता का अभ्यास मैं हर रोज करता हूं। हर किसी को यह अभ्यास नियमित करना चाहिए। 

कोरिया में हुई दुर्घटना पर दलाईलामा ने व्यक्त किया दुख

वहीं टीचिंग के दौरान तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा ने कोरिया में हुई दुर्घटना व इसमें मारे गए लोगों के लिए प्रार्थना की।

हिन्दुस्थान समाचार/सतेंद्र/सुनील

 
RELATED POST

Leave a reply
Click to reload image
Click on the image to reload

Advertisement









Advertisement