इज़राइल ने गाजा शहर पर नियंत्रण स्थापित करने के उद्देश्य से ज़मीनी हमले के पहले चरण की शुरुआत कर दी है। इज़राइली रक्षा बलों (IDF) ने पुष्टि की है कि यह हमला ज़ितून और जबालिया जैसे बाहरी इलाकों में सैनिकों की पहले से मौजूदगी और तैयारी के आधार पर शुरू किया गया है। इस सैन्य अभियान को इज़राइल के रक्षा मंत्री इज़राइल काट्ज़ की स्वीकृति मिल चुकी है, और इसकी समीक्षा इस सप्ताह के अंत में सुरक्षा कैबिनेट द्वारा की जाएगी।
IDF ने इस बड़े पैमाने पर चलाए जाने वाले हमले में सहयोग के लिए 60,000 रिज़र्व सैनिकों को तैनात करने की योजना बनाई है, जिससे अधिक सक्रिय बल इस ऑपरेशन में भाग ले सकें। इज़राइल का कहना है कि उसका मुख्य उद्देश्य हमास के सैन्य ढांचे को ध्वस्त करना और उसे गाज़ा की सामान्य आबादी से अलग-थलग करना है। एक सैन्य प्रवक्ता ने दावा किया कि लगभग दो वर्षों के संघर्ष के बाद, हमास "तबाह और कमजोर" हो चुका है।
हालांकि, इस ज़मीनी हमले को लेकर वैश्विक चिंता भी सामने आ रही है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इस अभियान की आलोचना करते हुए कहा कि इससे मानवीय आपदा और क्षेत्रीय अस्थिरता की आशंका बढ़ सकती है। अंतर्राष्ट्रीय रेड क्रॉस समिति (ICRC) ने भी गाजा की बिगड़ती स्थिति पर गंभीर चिंता जताई है, चेतावनी दी है कि संघर्ष के और तेज़ होने से नागरिकों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा और बचे हुए लगभग 50 बंधकों की जान को खतरा हो सकता है।
ICRC ने तत्काल युद्धविराम और मानवीय सहायता की बेहतर पहुंच की मांग की है, साथ ही चेताया है कि गाजा के 21 लाख निवासियों को इसके "अपूरणीय परिणाम" भुगतने पड़ सकते हैं।
इस बीच, कतर और मिस्र ने एक नए युद्धविराम प्रस्ताव का मसौदा तैयार किया है, जिसमें 60 दिनों के संघर्षविराम और लगभग आधे बंधकों की रिहाई की योजना शामिल है। हमास ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है, लेकिन इज़राइल की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। इज़राइली अधिकारी इस बात पर अड़े हैं कि किसी भी समझौते में सभी बंधकों की रिहाई सुनिश्चित होनी चाहिए।
यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब मध्य पूर्व में तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है, और अंतरराष्ट्रीय समुदाय युद्धविराम व शांति के प्रयासों को तेज़ करने की मांग कर रहा है।